✎संधि - परिभाषा, प्रकार, उदाहरण और ट्रिक
जी नमस्कार दोस्तों ! इस ब्लॉग में हम संधि की परिभाषा, संधि के प्रकार जैसे - स्वर संधि, व्यंजन संधि, अयादि संधि, संधि के उदाहरण, संधि याद रखने के ट्रिक्स तथा संधि विच्छेद आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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संधि की परिभाषा -
दो वर्णों या ध्वनियों के संयोग से होने वाले विकार या परिवर्तन को सन्धि कहते हैं। संधि में पहले शब्द का अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द का पहला वर्ण आपस में मिलते है जिसके परिणामस्वरूप उनमें परिर्वतन होता है।
जैसे हिम एक शब्द है जिसका अर्थ है बर्फ। इसका अंतिम वर्ण अ है (म में छोटा अ की मात्रा लगा है)। दूसरा शब्द है आलय जिसका मतलब है घर । आलय में अंतिम वर्ण भी अ है (य में भी अ की मात्रा है)। अब दोनों वर्णों को जोड़ते हैं -
हिम + आलय = हिमालय
अ + अ = आ (विकार)
वर्ण और वर्णमाला
संधि को भलीभाँति समझने के लिए वर्ण को समझना जरूरु है । मानव द्वारा प्रकट की गई सार्थक व अर्थपूर्ण ध्वनि को भाषा की संज्ञा दी जाती है। इस भाषा को कुछ चिन्हों द्वारा लिखित भाषा में परिवर्तित किया जाता है। इन्हीं चिन्ह को वर्ण कहा जाता है। साधारण अर्थों में समझे तो भाषा की सबसे लघुतम इकाई वर्ण है। इस के टुकड़े नहीं किए जा सकते जैसे – क् ,प् , ख् , च ,आदि ।
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वर्ण के भेद :
वर्ण के मुख्यतः दो भेद माने गए हैं –
१. स्वर
२. व्यंजन
1 स्वर – वह वर्ण जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्णों की सहायता नहीं पड़ती उन्हें वर्ण कहते हैं। जैसे - अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ
ह्रस्व स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में बहुत कम समय लगता है उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं जैसे – अ ,इ ,उ ,
दीर्घ स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से अधिक समय लगता है उसे दीर्घ स्वर कहते हैं जैसे -आ , ई ,ऊ ,ऋ ,लृ ,ए ,ऐ ,ओ ,औ
प्लुत स्वर – इस स्वर के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से तीन गुना समय लगता है। इसलिए इसके आगे तीन का अंक लिख दिया जाता है जैसे – ओउम्
2 व्यंजन – जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरों की सहायता ली जाती है उन्हें व्यंजन कहते हैं। व्यंजन का उच्चारण बिना स्वर के संभव नहीं है। जैसे - क ख ग…
जब किसी स्वर का उच्चारण नासिका और मुख से किया जाता है तब उसके ऊपर चंद्र बिंदी लगाया जाता है।अनुस्वार का उच्चारण(न् ,म्) के समान होता
है इसका चिन्ह बिंदी आकार होता है जैसे – मंगल , जंगल , हंस आदि।
विसर्ग (:) का उच्चारण अहा के समान होता है जैसे – अतः, दुखः
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संधि के प्रकार :
सन्धियाँ तीन प्रकार की होती हैं।
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१. स्वर संधि
दो स्वरों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है , उसे स्वर संधि कहते हैं ।
जैसे- अ + ई = ए – गण + ईश = गणेश
आ + ए = ऐ – सदा + एव = सदैव
अ + आ = आ – हिम + आलय = हिमालय
ए + अ = अय् – ने + अयन = नयन
उ + अ = व् – सु + आगत = स्वागत
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स्वर संधि पाँच प्रकार की होती है ।
🟣 दीर्घ संधि
🟢 गुण सन्धि
🟤 वृद्धि सन्धि
🟠 अयादि संधि
🟡 यण सन्धि
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1. दीर्घ सन्धि :
जैसे :
🔺 जब अ से अ मिलता है तो आ हो जाता है -
अ + अ = आ
पुष्प + अवली = पुष्पावली
🔺 जब अ से आ मिले तो आ हो जाता है -
अ + आ = आ
हिम + आलय = हिमालय
🔺 जब आ से अ मिले तो आ हो जाता है
आ + अ = आ
माया + अधीन = मायाधीन
🔺 जब आ से आ मिले तो आ हो जाता है
आ + आ = आ
विद्या + आलय = विद्यालय
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🔴 इसी प्रकार इ/ई + इ/ई = ई तथा उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ हो जाता है ।
इ + इ = ई – कवि + इच्छा = कवीच्छा
इ + ई = ई – हरि + ईश = हरीश
ई + इ = ई – मही + इन्द्र = महीन्द्र
ई + ई = ई – नदी + ईश = नदीश
उ + उ = ऊ – सु + उक्ति = सूक्ति
उ + ऊ = ऊ – सिन्धु + ऊर्मि = सिंधूर्मि
ऊ + उ = ऊ – वधू + उत्सव = वधूत्सव
ऊ + ऊ = ऊ – भू + ऊर्ध्व = भूध्व
दीर्घ संधि के कुछ उदाहरण
(i) विद्यालय = विद्या + आलय (आ + आ)
(ii) संग्रहालय = संग्रह + आलय (अ + आ)
(iii) हिमालय = हिम + आलय (अ + आ)
(iv) भोजनालय = भोजन + आलय (अ + आ)
(v) रवीन्द्र = रवि + इंद्र (इ + इ)
(vi) गुरूपदेश = गुरू + उपदेश (उ + उ)
(vii) सदा + एव = सदैव (आ+ ए)
(viii) सूर्य + उदय = सूर्योदय (अ + उ)
(ix) सु + इच्छा = स्वेच्छा ( उ + इ)
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ii) गुण सन्धि :
जब अ/आ के बाद इ/ई या उ/ऊ तथा ‘ऋ’ हो तो क्रमश: ए, ओ और अर् हो जाता है, इसे गुण सन्धि कहते हैं।
गुण सन्धि – उदाहरण
अ + इ = ए – उप + इन्द्र = उपेन्द्र
अ + ई = ए – गण + ईश = गणेश
आ + इ = ए – महा + इन्द्र = महेन्द्र
आ + ई = ए – रमा + ईश = रमेश
अ + उ = ओ – चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
अ + ऊ = ओ – समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि
आ + उ = ओ – महा + उत्सव = महोत्सव
आ + ऊ = ओ – गंगा + उर्मि = गंगोर्मि
अ + ऋ = अर् – देव + ऋषि = देवर्षि
आ + ऋ = अर – महा + ऋषि = महर्षि
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iii) वृद्धि संधि :
वृद्धि सन्धि – उदाहरण
अ + ए = ऐ – पुत्र + एषणा = पुत्रैषणा
अ + ऐ = ऐ – मत + ऐक्य = मतैक्य
आ + ए = ऐ – सदा + एव = सदैव
आ + ऐ = ऐ – महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
अ + ओ = औ – जल + ओकस = जलौकस
अ + औ = औ – परम + औषध = परमौषध
आ + ओ = औ – महा + ओषधि = महौषधि
आ + औ = औ – महा + औदार्य = महौदार्य
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iv) यण सन्धि :
जैसे-
इ, ई + भिन्न स्वर = य
उ, ऊ + भिन्न स्वर = व
ऋ + भिन्न स्वर = र
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यण सन्धि – उदाहरण
इ + अ = य् – अति + अल्प = अत्यल्प
ई + अ = य् – देवी + अर्पण = देव्यर्पण
उ + अ = व् – सु + आगत = स्वागत
ऊ + आ = व – वधू + आगमन = वध्वागमन
ऋ + अ = र् – पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
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v) अयादि सन्धि :
जैसे-
ए + भिन्न स्वर = अय्
ऐ + भिन्न स्वर = आय्
ओ + भिन्न स्वर = अव्
औ + भिन्न स्वर = आव्
अयादि सन्धि – उदाहरण
ए + अ = अय् – ने + अयन = नयन
ऐ + अ = आय् – नै + अक = नायक
ओ + अ = अव् – पो + अन = पवन
औ + अ = आव् – पौ + अक = पावक
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२. व्यंजन संधि :
जैसे-
दिक् + अम्बर = दिगम्बर
वाक् + ईश = वागीश
अच् + अन्त = अजन्त
षट् + आनन = षडानन
सत् + आचार = सदाचार
सुप् + सन्त = सुबन्त
उत् + घाटन = उद्घाटन
तत् + रूप = तद्रूप
वाक् + मय = वाङ्मय
उत् + मत्त = उन्मत्त
परि + छेद = परिच्छेद
आ + छादन = आच्छादन
पद + छेद = पदच्छेद
गृह + छिद्र = गृहच्छिद्र
शम् + कर = शङ्कर या शंकर
सम् + चय = संचय
घम् + टा = घण्टा
सम् + तोष = सन्तोष
स्वयम् + भू = स्वयंभू
सम् + सार = संसार
सम् + योग = संयोग
स्वयम् + वर = स्वयंवर
सम् + रक्षा = संरक्षा
उत् + ज्वल = उज्ज्वल
सत् + जन = सज्जन
सत् + जाति = सज्जाति
उत् + हार = उद्धार
तत् + हित = तद्धित
आकृष् + त = आकृष्ट
तुष् + त = तुष्ट
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3) विसर्ग संधि :
जैसे
निः + शंक = निश्शंक
दुः + शासन = दुश्शासन
निः + सन्देह = निस्सन्देह
नि: + संग = निस्संग
निः + शब्द = निश्शब्द
निः + स्वार्थ = निस्स्वार्थ
निः + रव = नीरव
निः + रोग = नीरोग
निः + रस = नीरस
निः + तार = निस्तार
दु: + चरित्र = दुश्चरित्र
निः + छल = निश्छल
निः + ठुर = निष्ठुर
प्रात: + काल = प्रात:काल
अन्तः + करण = अन्तःकरण
दुः + निवार = दुर्निवार
दुः + बोध = दुर्बोध
निः + गुण = निर्गुण
नि: + आधार = निराधार
निः + धन = निर्धन
निः + झर = निर्झर
नि: + आशा = निराशा
निः + ईह = निरीह
निः + उपाय = निरुपाय
निः + अर्थक = निरर्थक
मनः + विकार = मनोविकार
मन: + रथ = मनोरथ
पुरः + हित = पुरोहित
मनः + रम = मनोरम
निः + कर्म = निष्कर्म
निः + काम = निष्काम
नि: + करुण = निष्करुण
निः + पाप = निष्पाप
निः + कपट = निष्कपट
निः + फल = निष्फल
इन्हें भी जाने
॰ अधिसूचना की परिभाषा और प्रारूप
संधि विच्छेद :
संधि, इसका शाब्दिक अर्थ है- मेल। यानी दो वर्णों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहा जाता है और दो शब्दों के मेल से बने शब्द को पुनः अलग अलग करना संधि विच्छेद कहलाता है।
जैसे : निष्फल का संधि विच्छेद निः + फल होगा ।
मनोरम = मनः + रम