जी नमस्कार दोस्तों ! Gyanalay ( ज्ञानालय ) में आपका स्वागत है। इस ब्लॉग में हम समास की परिभाषा, समास किसे कहते है, समास के भेद और समास के उदाहरण की चर्चा करेंगे। समास को हम ट्रिक और डायग्राम से याद करने की कोशिश करेंगे। तो आइए शुरू करते है।
समास की परिभाषा
समास का तात्पर्य होता है – संक्षिप्तीकरण। इसका शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप। अथार्त जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है उस शब्द को समास कहते हैं।
समास रचना में दो पद होते हैं, पहले पद को ‘पूर्वपद’ कहा जाता है और दूसरे पद को ‘उत्तरपद’ कहा जाता है। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वो समस्त पद या सामासिक शब्द कहलाता है।
समास के उदाहरण
रसोई के लिए घर = रसोईघर
हाथ के लिए कड़ी = हथकड़ी
राजा का पुत्र = राजपुत्र
समास विग्रह
सामासिक शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करने को समास – विग्रह कहते हैं। विग्रह के बाद सामासिक शब्द गायब हो जाते हैं अथार्त जब समस्त पद के सभी पद अलग – अलग किय जाते हैं उसे समास-विग्रह कहते हैं।
जैसे :-
भाई-बहन = भाई और बहन
विषधर = विष को धारण करने वाला अथार्त शिव
समास के भेद
समास निम्न प्रकार के होते हैं-
✅ अव्ययीभाव समास
✅ तत्पुरुष समास
✅ कर्मधारय समास
✅ द्विगु समास
✅ द्वंद्व समास
✅ बहुब्रीहि समास
अव्ययीभाव समास
ऐसा पद जिसमें समस्त पद में एक पद अव्यय या उपसर्ग हो तथा दूसरा पद संज्ञा हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
Trick: अव्ययीभाव समास में उपसर्ग लगा होता है , जैसे अनु, आ, प्रति, यथा , भर, हर आदि।
अव्ययीभाव समास के उदाहरण
यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
यथाक्रम = क्रम के अनुसार
यथानियम = नियम के अनुसार
प्रतिदिन = प्रत्येक दिन
प्रतिवर्ष =हर वर्ष
आजन्म = जन्म से लेकर
यथासाध्य = जितना साधा जा सके
घर-घर = प्रत्येक घर
रातोंरात = रात ही रात में
आमरण = मृत्यु तक
यथाकाम = इच्छानुसार
यथास्थान = स्थान के अनुसार
अभूतपूर्व = जो पहले नहीं हुआ
निर्भय = बिना भय के
निर्विवाद = बिना विवाद के
निर्विकार = बिना विकार के
प्रतिपल = हर पल
अनुकूल = मन के अनुसार
अनुरूप = रूप के अनुसार
यथासमय = समय के अनुसार
यथाशीघ्र = शीघ्रता से
अकारण = बिना कारण के
यथासामर्थ्य = सामर्थ्य के अनुसार
यथाविधि = विधि के अनुसार
भरपेट = पेट भरकर
हाथोंहाथ = हाथ ही हाथ में
बेशक = शक के बिना
खुबसूरत = अच्छी सूरत वाली
तत्पुरुष समास
इस समास में दूसरा पद प्रधान होता है। यह कारक से जुड़ा समास होता है। इसे बनाने में दो पदों के बीच कारक चिन्हों का लोप हो जाता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। पूर्व पद विशेषण होने के कारण गौण और उत्तर पद विशेष्य होने के कारण प्रधान होता है।
Trick: तत्पुरुष समास को अलग करने पर बीच में का, की, को, के लिए, में, से, पर निकले।
तत्पुरुष के उदाहरण
देश के लिए भक्ति = देशभक्ति
राजा का पुत्र = राजपुत्र
राह के लिए खर्च = राहखर्च
तुलसी द्वारा कृत = तुलसीदासकृत
राजा का महल = राजमहल
राजा का कुमार = राजकुमार
धर्म का ग्रंथ = धर्मग्रंथ
रचना करने वाला = रचनाकार
तत्पुरुष समास के भेद
विभक्तियों के अनुसार तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं :-
👉🏼 कर्म तत्पुरुष समास
👉🏼 करण तत्पुरुष समास
👉🏼 सम्प्रदान तत्पुरुष समास
👉🏼 अपादान तत्पुरुष समास
👉🏼 सम्बन्ध तत्पुरुष समास
👉🏼 अधिकरण तत्पुरुष समास
- कर्म तत्पुरुष समास :- इसमें दो पदों के बीच में कर्मकारक छिपा हुआ होता है। कर्मकारक का चिन्ह ‘को’ होता है।
कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण
रथचालक = रथ को चलने वाला
माखनचोर =माखन को चुराने वाला
वनगमन =वन को गमन
मुंहतोड़ = मुंह को तोड़ने वाला
स्वर्गप्राप्त = स्वर्ग को प्राप्त
देशगत = देश को गया हुआ
जनप्रिय = जन को प्रिय
मरणासन्न = मरण को आसन्न
कुंभकार = कुंभ को बनाने वाला
कठफोड़वा = कांठ को फोड़ने वाला
शत्रुघ्न = शत्रु को मारने वाला
गिरिधर = गिरी को धारण करने वाला
मनोहर = मन को हरने वाला
यशप्राप्त = यश को प्राप्त
2. करण तत्पुरुष समास :- इसमें दो पदों के बीच करण कारक छिपा होता है। करण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के द्वारा’ और ‘से’ होता है।
करण तत्पुरुष समास के उदाहरण
स्वरचित = स्व द्वारा रचित
मनचाहा = मन से चाहा
शोकग्रस्त = शोक से ग्रस्त
भुखमरी = भूख से मरी
धनहीन = धन से हीन
ज्वरग्रस्त = ज्वर से ग्रस्त
मदांध = मद से अँधा
रसभरा = रस से भरा
भयाकुल = भय से आकुल
आँखोंदेखी = आँखों से देखी
तुलसीकृत = तुलसी द्वारा रचित
पर्णकुटीर = पर्ण से बनी कुटीर
कर्मवीर = कर्म से वीर
रक्तरंजित = रक्त से रंजित
जलाभिषेक = जल से अभिषेक
रोगग्रस्त = रोग से ग्रस्त
गुणयुक्त = गुणों से युक्त
अंधकारयुक्त = अंधकार से युक्त
3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास :- इसमें दो पदों के बीच सम्प्रदान कारक छिपा होता है। सम्प्रदान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के लिए’ होती है।
संप्रदान तत्पुरुष समास के उदाहरण
विद्यालय = विद्या के लिए आलय
रसोईघर = रसोई के लिए घर
सभाभवन = सभा के लिए भवन
विश्रामगृह = विश्राम के लिए गृह
गुरुदक्षिणा = गुरु के लिए दक्षिणा
प्रयोगशाला = प्रयोग के लिए शाला
देशभक्ति = देश के लिए भक्ति
स्नानघर = स्नान के लिए घर
सत्यागृह = सत्य के लिए आग्रह
यज्ञशाला = यज्ञ के लिए शाला
गौशाला = गौ के लिए शाला
युद्धभूमि = युद्ध के लिए भूमि
हथकड़ी = हाथ के लिए कड़ी
धर्मशाला = धर्म के लिए शाला
4. अपादान तत्पुरुष समास :- इसमें दो पदों के बीच में अपादान कारक छिपा होता है। अपादान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘से अलग’ होता है।
अपादान तत्पुरुष समास के उदाहरण
कामचोर = काम से जी चुराने वाला
नेत्रहीन = नेत्र से हीन
पापमुक्त = पाप से मुक्त
देशनिकाला = देश से निकाला
पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट
पदच्युत = पद से च्युत
रोगमुक्त = रोग से मुक्त
जन्मांध = जन्म से अँधा
कर्महीन = कर्म से हीन
अन्नहीन = अन्न से हीन
जलहीन = जल से हीन
गुणहीन = गुण से हीन
फलहीन = फल से हीन
5. सम्बन्ध तत्पुरुष समास :- इसमें दो पदों के बीच में सम्बन्ध कारक छिपा होता है। सम्बन्ध कारक के चिन्ह या विभक्ति ‘का’, ‘के’, ‘की’होती हैं।
संबंध तत्पुरुष समास के उदाहरण
राजपुत्र = राजा का पुत्र
गंगाजल = गंगा का जल
लोकतंत्र = लोक का तंत्र
देवपूजा = देव की पूजा
जलधारा = जल की धारा
राजनीति = राजा की नीति
सुखयोग = सुख का योग
मूर्तिपूजा = मूर्ति की पूजा
शिवालय = शिव का आलय
देशरक्षा = देश की रक्षा
सीमारेखा = सीमा की रेखा
जलयान = जल का यान
सेनापति = सेना का पति
कन्यादान = कन्या का दान
गृहस्वामी = गृह का स्वामी
पराधीन – पर के अधीन
आनंदाश्रम = आनन्द का आश्रम
राजाज्ञा = राजा की आज्ञा
6. अधिकरण तत्पुरुष समास :- इसमें दो पदों के बीच अधिकरण कारक छिपा होता है। अधिकरण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘में’, ‘पर’ होता है।
अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण
कार्यकुशल = कार्य में कुशल
वनवास = वन में वास
आत्मविश्वास = आत्मा पर विश्वास
दीनदयाल = दीनों पर दयाल
दानवीर = दान देने में वीर
जलमग्न = जल में मग्न
सिरदर्द = सिर में दर्द
शरणागत = शरण में आगत
आनन्दमग्न = आनन्द में मग्न
आपबीती = आप पर बीती
नगरवास = नगर में वास
रणधीर = रण में धीर
क्षणभंगुर = क्षण में भंगुर
पुरुषोत्तम = पुरुषों में उत्तम
लोकप्रिय = लोक में प्रिय
गृहप्रवेश = गृह में प्रवेश
युधिष्ठिर = युद्ध में स्थिर
शोकमग्न = शोक में मग्न
धर्मवीर = धर्म में वीर
🔴 Trick : कर्ता ने कर्म को करण से संप्रदान के लिए अपादान से अलग संबंध का के की अधिकरण में पर है।
कर्मधारय समास
इस समास का उत्तर पद प्रधान होता है। इस समास में विशेषण-विशेष्य और उपमेय-उपमान से मिलकर बनते हैं ।
कर्मधारय समास के उदाहरण
चरणकमल = कमल के समान चरण
नीलगगन = नीला है जो गगन
चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मुख
महात्मा = महान है जो आत्मा
लालमणि = लाल है जो मणि
महादेव = महान है जो देव
नवयुवक = नव है जो युवक
अधमरा = आधा है जो मरा
श्यामसुंदर = श्याम जो सुंदर है
नीलकंठ = नीला है जो कंठ (पक्षी)
महापुरुष = महान है जो पुरुष
नरसिंह = नर में सिंह के समान
नीलकमल = नीला है जो कमल
परमानन्द = परम है जो आनंद
सज्जन = सत् है जो जन
कमलनयन = कमल के समान नयन
द्विगु समास
द्विगु समास में पूर्वपद संख्यावाचक होता है और कभी-कभी उत्तरपद भी संख्यावाचक होता हुआ देखा जा सकता है।
द्विगु समास के उदाहरण
नवग्रह = नौ ग्रहों का समूह
दोपहर = दो पहरों का समाहार
त्रिवेणी = तीन वेणियों का समूह
पंचतन्त्र = पांच तंत्रों का समूह
त्रिलोक = तीन लोकों का समाहार
शताब्दी = सौ अब्दों का समूह
पंसेरी = पांच सेरों का समूह
सतसई = सात सौ पदों का समूह
चौगुनी = चार गुनी
त्रिभुज = तीन भुजाओं का समाहार
चौमासा = चार मासों का समूह
नवरात्र = नौ रात्रियों का समूह
अठन्नी = आठ आनों का समूह
सप्तऋषि = सात ऋषियों का समूह
त्रिकोण = तीन कोणों का समाहार
सप्ताह = सात दिनों का समूह
तिरंगा = तीन रंगों का समूह
चतुर्वेद = चार वेदों का समाहार
द्वंद्व समास
इस समास में दोनों पद ही प्रधान होते हैं। ये दोनों पद एक-दूसरे पद के विलोम होते हैं लेकिन ये हमेशा नहीं होता है। इसका विग्रह करने पर और, अथवा, या, एवं का प्रयोग होता है।
द्वंद्व के उदाहरण
जलवायु = जल और वायु
अपना-पराया = अपना या पराया
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
राधा-कृष्ण = राधा और कृष्ण
अन्न-जल = अन्न और जल
नर-नारी = नर और नारी
गुण-दोष = गुण और दोष
देश-विदेश = देश और विदेश
अमीर-गरीब = अमीर और गरीब
नदी-नाले = नदी और नाले
धन-दौलत = धन और दौलत
सुख-दुःख = सुख और दुःख
आगे-पीछे = आगे और पीछे
ऊँच-नीच = ऊँच और नीच
आग-पानी = आग और पानी
राजा-प्रजा = राजा और प्रजा
ठंडा-गर्म = ठंडा या गर्म
माता-पिता = माता और पिता
दिन-रात = दिन और रात
भाई-बहन = भाई और बहन
बहुब्रीहि समास
इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद प्रधान होता है। इसका विग्रह करने पर “वाला , है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह” आदि आते हैं
बहुब्रीहि समास के उदाहरण
दशानन = दश हैं आनन जिसके (रावण)
चतुर्भुज = चार भुजाओं वाला (विष्णु)
पीताम्बर = पीले हैं वस्त्र जिसके (कृष्ण)
गजानन = गज का आनन है जिसका (गणेश)
त्रिनेत्र = तीन नेत्र हैं जिसके (शिव)
नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका (शिव)
लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका (गणेश)
चक्रधर= चक्र को धारण करने वाला (विष्णु)
वीणापाणी = वीणा है जिसके हाथ में (सरस्वती)
स्वेताम्बर = सफेद वस्त्रों वाली (सरस्वती)
सुलोचना = सुंदर हैं लोचन जिसके (मेघनाद की पत्नी)
दुरात्मा = बुरी आत्मा वाला (दुष्ट)
घनश्याम = घन के समान है जो (श्री कृष्ण)
मृत्युंजय = मृत्यु को जीतने वाला (शिव)
निशाचर = निशा में विचरण करने वाला (राक्षस)
गिरिधर = गिरी को धारण करने वाला (कृष्ण)
पंकज = पंक में जो पैदा हुआ (कमल)
त्रिलोचन = तीन है लोचन जिसके (शिव)
विषधर = विष को धारण करने वाला (सर्प)