स्वर संधि : स्वर संधि के 100 उदाहरण

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स्वर संधि : स्वर संधि के 100 उदाहरण


जी नमस्कार दोस्तों ! इस ब्लॉग में हम स्वर संधि, स्वर संधि के प्रकार, स्वर संधि का संधि विच्छेद तथा स्वर संधि के महत्वपूर्ण उदाहरण के बारे में जानेंगे। जैसे की हम जानते है संधि तीन प्रकार की होती है । स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि। इस ब्लॉग में हम स्वर संधि की चर्चा करेंगे। 


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स्वर संधि  की परिभाषा


दो स्वरों के मेल या जोड़ से जो विकार उत्पन्न होता है , उसे स्वर संधि कहते हैं ।


स्वर संधि के उदाहरण


स्वर संधि के 100 उदाहरण
Gyanalay : स्वर संधि के उदाहरण


जैसे- अ + ई = ए – गण + ईश = गणेश

आ + ए = ऐ – सदा + एव = सदैव

अ + आ = आ – हिम + आलय = हिमालय

ए + अ = अय् – ने + अयन = नयन

उ + अ = व् – सु + आगत = स्वागत


स्वर संधि के प्रकार


स्वर संधि पाँच प्रकार की होती है । 

१. दीर्घ संधि 

२. गुण सन्धि

३. वृद्धि सन्धि

४. अयादि संधि

५. यण सन्धि


स्वर संधि के प्रकार
ज्ञानालय : स्वर संधि के प्रकार


दीर्घ सन्धि 


एक समान स्वरों ( सवर्ण ) के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है उसे दीर्घ संधि कहते है ।

जैसे : 

जब अ से अ मिलता है तो आ हो जाता है -


दीर्घ संधि
ज्ञानालय : दीर्घ संधि


अ + अ = आ

पुष्प + अवली = पुष्पावली

जब अ से आ मिले तो आ हो जाता है -

अ + आ = आ

हिम + आलय = हिमालय

जब आ से अ मिले तो आ हो जाता है 

आ + अ = आ

माया + अधीन = मायाधीन

जब आ से आ मिले तो आ हो जाता है 

आ + आ = आ

विद्या + आलय = विद्यालय


🔴 इसी प्रकार इ/ई + इ/ई = ई तथा उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ हो जाता है ।

इ + इ = ई – कवि + इच्छा = कवीच्छा

इ + ई = ई – हरि + ईश = हरीश

ई + इ = ई – मही + इन्द्र = महीन्द्र

ई + ई = ई – नदी + ईश = नदीश


ज्ञानालय, स्वर संधि, दीर्घ संधि
ज्ञानालय : दीर्घ संधि


उ + उ = ऊ – सु + उक्ति = सूक्ति

उ + ऊ = ऊ – सिन्धु + ऊर्मि = सिंधूर्मि

ऊ + उ = ऊ – वधू + उत्सव = वधूत्सव

ऊ + ऊ = ऊ – भू + ऊर्ध्व = भूध्व


दीर्घ संधि, स्वर संधि, दीर्घ संधि के उदाहरण
www.gyanalay.in : दीर्घ संधि


दीर्घ संधि के कुछ उदाहरण


दीर्घ संधि के उदाहरण
Gyanalay: दीर्घ संधि के उदाहरण


 (i) विद्यालय = विद्या + आलय (आ + आ)

(ii) संग्रहालय = संग्रह + आलय (अ + आ)

(iii) हिमालय = हिम + आलय (अ + आ)

(iv) भोजनालय = भोजन + आलय (अ + आ)

(v) रवीन्द्र = रवि + इंद्र (इ + इ)

(vi) गुरूपदेश = गुरू + उपदेश (उ + उ)

(vii) सदा + एव = सदैव (आ+ ए)

(viii) सूर्य + उदय = सूर्योदय (अ + उ)

(ix) सु + इच्छा = स्वेच्छा ( उ + इ)


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गुण सन्धि


जब अ/आ के बाद  इ/ई या उ/ऊ तथा ‘ऋ’ हो तो क्रमश: ए, ओ और अर् हो जाता है, इसे गुण सन्धि कहते हैं।


गुण संधि, गुण संधि की परिभाषा, गुण संधि के उदाहरण
गुण संधि : ज्ञानालय



गुण सन्धि के उदाहरण


गुण संधि, गुण संधि के उदाहरण
गुण संधि के उदाहरण


अ + इ = ए – उप + इन्द्र = उपेन्द्र

अ + ई = ए – गण + ईश = गणेश

आ + इ = ए – महा + इन्द्र = महेन्द्र

आ + ई = ए – रमा + ईश = रमेश

अ + उ = ओ – चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय

अ + ऊ = ओ – समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि

आ + उ = ओ – महा + उत्सव = महोत्सव

आ + ऊ = ओ – गंगा + उर्मि = गंगोर्मि

अ + ऋ = अर् – देव + ऋषि = देवर्षि

आ + ऋ = अर – महा + ऋषि = महर्षि


वृद्धि संधि 


जब संधि करते समय अ/आ के साथ ए/ऐ हो तो ऐ बनता है और जब अ/आ के साथ ओ/औ हो तो औ बनता है । उसे वृद्धि संधि कहते है।

वृद्धि संधि, वृद्धि संधि किसे कहते है
वृद्धि संधि 


वृद्धि सन्धि के उदाहरण


वृद्धि संधि के उदाहरण
वृद्धि संधि के उदाहरण


अ + ए = ऐ – पुत्र + एषणा = पुत्रैषणा

अ + ऐ = ऐ – मत + ऐक्य = मतैक्य

आ + ए = ऐ – सदा + एव = सदैव

आ + ऐ = ऐ – महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य

अ + ओ = औ – जल + ओकस = जलौकस

अ + औ = औ – परम + औषध = परमौषध

आ + ओ = औ – महा + ओषधि = महौषधि

आ + औ = औ – महा + औदार्य = महौदार्य


यण सन्धि 


जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ के आगे कोई भिन्न स्वर आता है तो ये क्रमश: य, व, र, में परिवर्तित हो जाते हैं, इस परिवर्तन को यण सन्धि कहते हैं।


यण सन्धि
यण सन्धि


जैसे-

इ, ई + भिन्न स्वर = य

उ, ऊ + भिन्न स्वर = व

ऋ + भिन्न स्वर = र


यण सन्धि के उदाहरण


इ + अ = य् – अति + अल्प = अत्यल्प

ई + अ = य् – देवी + अर्पण = देव्यर्पण

उ + अ = व् – सु + आगत = स्वागत

ऊ + आ = व – वधू + आगमन = वध्वागमन

ऋ + अ = र् – पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा


अयादि सन्धि 


जब ए, ऐ, ओ और औ के बाद कोई भिन्न स्वर आता है तो ‘ए’ का अय, ‘ऐ’ का आय् , ‘ओ’ का अव् और ‘औ’ का आव् हो जाता है;


अयादि सन्धि
अयादि संधि

जैसे-

ए + भिन्न स्वर = अय्

ऐ + भिन्न स्वर = आय्

ओ + भिन्न स्वर = अव्

औ + भिन्न स्वर = आव्


 अयादि सन्धि के उदाहरण


ए + अ = अय् – ने + अयन = नयन

ऐ + अ = आय् – नै + अक = नायक

ओ + अ = अव् – पो + अन = पवन

औ + अ = आव् – पौ + अक = पावक


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