तत्पुरुष समास
जी नमस्कार दोस्तों ! Gyanalay में आपका स्वागत है। इस ब्लॉग में हम तत्पुरुष समास के बारे में चर्चा करेंगे। इसमें हम जानेंगे कि तत्पुरुष समास किसे कहते है, तत्पुरुष समास के भेद क्या है और तत्पुरुष समास के उदाहरण क्या है आदि जानेंगे।
तत्पुरुष समास किसे कहते है
इस समास में दूसरा पद प्रधान होता है। यह कारक से जुड़ा समास होता है। इसे बनाने में दो पदों के बीच कारक चिन्हों का लोप हो जाता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। पूर्व पद विशेषण होने के कारण गौण और उत्तर पद विशेष्य होने के कारण प्रधान होता है।
Trick: तत्पुरुष समास को अलग करने पर बीच में का, की, को, के लिए, में, से, पर निकले।
तत्पुरुष के उदाहरण
देश के लिए भक्ति = देशभक्ति
राजा का पुत्र = राजपुत्र
राह के लिए खर्च = राहखर्च
तुलसी द्वारा कृत = तुलसीदासकृत
राजा का महल = राजमहल
राजा का कुमार = राजकुमार
धर्म का ग्रंथ = धर्मग्रंथ
रचना करने वाला = रचनाकार
तत्पुरुष समास के भेद
विभक्तियों के अनुसार तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं :-
👉🏼 कर्म तत्पुरुष समास
👉🏼 करण तत्पुरुष समास
👉🏼 सम्प्रदान तत्पुरुष समास
👉🏼 अपादान तत्पुरुष समास
👉🏼 सम्बन्ध तत्पुरुष समास
👉🏼 अधिकरण तत्पुरुष समास
कर्म तत्पुरुष समास
इसमें दो पदों के बीच में कर्मकारक छिपा हुआ होता है। कर्मकारक का चिन्ह ‘को’ होता है।
कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण
रथचालक = रथ को चलने वाला
माखनचोर =माखन को चुराने वाला
वनगमन =वन को गमन
मुंहतोड़ = मुंह को तोड़ने वाला
स्वर्गप्राप्त = स्वर्ग को प्राप्त
देशगत = देश को गया हुआ
जनप्रिय = जन को प्रिय
मरणासन्न = मरण को आसन्न
कुंभकार = कुंभ को बनाने वाला
कठफोड़वा = कांठ को फोड़ने वाला
शत्रुघ्न = शत्रु को मारने वाला
गिरिधर = गिरी को धारण करने वाला
मनोहर = मन को हरने वाला
यशप्राप्त = यश को प्राप्त
करण तत्पुरुष समास
इसमें दो पदों के बीच करण कारक छिपा होता है। करण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के द्वारा’ और ‘से’ होता है।
करण तत्पुरुष समास के उदाहरण
स्वरचित = स्व द्वारा रचित
मनचाहा = मन से चाहा
शोकग्रस्त = शोक से ग्रस्त
भुखमरी = भूख से मरी
धनहीन = धन से हीन
ज्वरग्रस्त = ज्वर से ग्रस्त
मदांध = मद से अँधा
रसभरा = रस से भरा
भयाकुल = भय से आकुल
आँखोंदेखी = आँखों से देखी
तुलसीकृत = तुलसी द्वारा रचित
पर्णकुटीर = पर्ण से बनी कुटीर
कर्मवीर = कर्म से वीर
रक्तरंजित = रक्त से रंजित
जलाभिषेक = जल से अभिषेक
रोगग्रस्त = रोग से ग्रस्त
गुणयुक्त = गुणों से युक्त
अंधकारयुक्त = अंधकार से युक्त
सम्प्रदान तत्पुरुष समास
इसमें दो पदों के बीच सम्प्रदान कारक छिपा होता है। सम्प्रदान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के लिए’ होती है।
संप्रदान तत्पुरुष समास के उदाहरण
विद्यालय = विद्या के लिए आलय
रसोईघर = रसोई के लिए घर
सभाभवन = सभा के लिए भवन
विश्रामगृह = विश्राम के लिए गृह
गुरुदक्षिणा = गुरु के लिए दक्षिणा
प्रयोगशाला = प्रयोग के लिए शाला
देशभक्ति = देश के लिए भक्ति
स्नानघर = स्नान के लिए घर
सत्यागृह = सत्य के लिए आग्रह
यज्ञशाला = यज्ञ के लिए शाला
गौशाला = गौ के लिए शाला
युद्धभूमि = युद्ध के लिए भूमि
हथकड़ी = हाथ के लिए कड़ी
धर्मशाला = धर्म के लिए शाला
अपादान तत्पुरुष समास
इसमें दो पदों के बीच में अपादान कारक छिपा होता है। अपादान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘से अलग’ होता है।
अपादान तत्पुरुष समास के उदाहरण
कामचोर = काम से जी चुराने वाला
नेत्रहीन = नेत्र से हीन
पापमुक्त = पाप से मुक्त
देशनिकाला = देश से निकाला
पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट
पदच्युत = पद से च्युत
रोगमुक्त = रोग से मुक्त
जन्मांध = जन्म से अँधा
कर्महीन = कर्म से हीन
अन्नहीन = अन्न से हीन
जलहीन = जल से हीन
गुणहीन = गुण से हीन
फलहीन = फल से हीन
सम्बन्ध तत्पुरुष समास
इसमें दो पदों के बीच में सम्बन्ध कारक छिपा होता है। सम्बन्ध कारक के चिन्ह या विभक्ति ‘का’, ‘के’, ‘की’होती हैं।
संबंध तत्पुरुष समास के उदाहरण
राजपुत्र = राजा का पुत्र
गंगाजल = गंगा का जल
लोकतंत्र = लोक का तंत्र
देवपूजा = देव की पूजा
जलधारा = जल की धारा
राजनीति = राजा की नीति
सुखयोग = सुख का योग
मूर्तिपूजा = मूर्ति की पूजा
शिवालय = शिव का आलय
देशरक्षा = देश की रक्षा
सीमारेखा = सीमा की रेखा
जलयान = जल का यान
सेनापति = सेना का पति
कन्यादान = कन्या का दान
गृहस्वामी = गृह का स्वामी
पराधीन – पर के अधीन
आनंदाश्रम = आनन्द का आश्रम
राजाज्ञा = राजा की आज्ञा
अधिकरण तत्पुरुष समास
इसमें दो पदों के बीच अधिकरण कारक छिपा होता है। अधिकरण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘में’, ‘पर’ होता है।
अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण
कार्यकुशल = कार्य में कुशल
वनवास = वन में वास
आत्मविश्वास = आत्मा पर विश्वास
दीनदयाल = दीनों पर दयाल
दानवीर = दान देने में वीर
जलमग्न = जल में मग्न
सिरदर्द = सिर में दर्द
शरणागत = शरण में आगत
आनन्दमग्न = आनन्द में मग्न
आपबीती = आप पर बीती
नगरवास = नगर में वास
रणधीर = रण में धीर
क्षणभंगुर = क्षण में भंगुर
पुरुषोत्तम = पुरुषों में उत्तम
लोकप्रिय = लोक में प्रिय
गृहप्रवेश = गृह में प्रवेश
युधिष्ठिर = युद्ध में स्थिर
शोकमग्न = शोक में मग्न
धर्मवीर = धर्म में वीर
Trick कर्ता ने कर्म को करण से संप्रदान के लिए अपादान से अलग संबंध का के की अधिकरण में पर है।