हड़प्पा सभ्यता का उद्भव कैसे हुआ

Gyanalay
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नमस्कार दोस्तों! इस ब्लॉग में हम पढ़ेंगे की हड़प्पा सभ्यता का उद्भव कैसे हुआ।


हड़प्पा सभ्यता का उद्भव कैसे हुआ


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हड़प्पा सभ्यता: स्वदेशी या विदेशी


इतिहासकारों में हड़प्पा सभ्यता के उद्भव को लेकर सामान्यतः दो मत प्रचलित है - स्वदेशी उद्भव का मत (फेयर सर्विस, अमलानंद घोष, अल्चिन दंपति एवं डीपी अग्रवाल आदि) एवम विदेशी उद्भव का मत (मार्शल, व्हीलर,गार्डन चाइल्ड, क्रेमर एवं डी.डी. कौशांबी आदि)।


विदेशी उद्भव का मत: 


प्रारंभ में अधिकांश इतिहासकार हड़प्पा सभ्यता के विदेशी उद्भव के मत से सहमत थे। उनका मानना था कि इस सभ्यता का विकास मेसोपोटामिया की सभ्यता से हुआ है।परंतु आधुनिक शोधों ने यह सिद्ध कर दिया है कि हड़प्पा सभ्यता एवं मेसोपोटामिया की सभ्यता में अनेक अंतर है। जैसे हड़प्पा सभ्यता के नगर जाल की तरह बसे हुए थे,यहां के मकान में प्राय: पक्की ईंटों का प्रयोग हुआ है।यहां जल निकासी व्यवस्था अत्यंत उन्नत अवस्था में थी तथा लिपि चित्राक्षर थी। इसके विपरीत मेसोपोटामिया के नगर बेतरतीब बसे हुए थे,उनमें ज्यादातर कच्ची ईंटों का प्रयोग हुआ है एवं उनकी लिपि कीलाक्षर है मेसोपोटामिया के नगरों में मंदिरों के प्रमाण हैं, जबकि सिंधु सभ्यता में इसका कोई प्रमाण नहीं है।अतः कहा जा सकता है कि हड़प्पा सभ्यता के उद्भव में मेसोपोटामिया के लोगों का कोई योगदान नहीं है


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स्वदेशी उद्भव का मत:


प्रसिद्ध इतिहासकार अमलानंद घोष ने अपने शोधों से यह सिद्ध कर दिया है कि राजस्थान के बीकानेर में स्थित सोथी संस्कृति से ही सिंधु सभ्यता का उद्भव हुआ है। सिंधु संस्कृति और सोथी संस्कृति दोनों के मृदभांडों पर एक ही समान पीपल के पत्तों का चित्रण है। उनके मृदभांडों पर रस्सी के निशानों में भी समानता है । दोनों जगह छल्लेदार गोड़े वाले बर्तन प्राप्त हुए हैं।अतः कहा जा सकता है की सोथी संस्कृति से ही सिंधु सभ्यता का विकास हुआ है। सम्प्रति यही मत विद्वानों में भी मान्य है।

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