हड़प्पा सभ्यता: सामाजिक जीवन
नमस्कार दोस्तों! आज हम इस ब्लॉग में चर्चा करेंगे हड़प्पा सभ्यता के सामाजिक जीवन एवं उसकी विशेषताओं की।
📚 मातृप्रधान समाज हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता थी।
📚 हड़प्पन समाज मुख्यतः तीन वर्गों में विभाजित था- प्रथम विशिष्ट वर्ग, दूसरा माध्यम वर्ग, तीसरा अपेक्षाकृत कुछ गरीब वर्ग।
📚 आमतौर पर तीनों वर्ग नगरीय क्षेत्र में निवास करते थे और यह क्षेत्र परकोटे से घिरा होता था। अपवादस्वरूप कुछ शिल्पी और श्रमिक नगर के परकोटे से बाहर भी रहते थे।
📚 स्त्रियों की दशा: इस सभ्यता में बड़े पैमाने पर नारी मूर्तियां मिलने के कारण माना जाता है कि हड़प्पा सभ्यता मातृप्रधान था।इसलिए नारियों की स्थिति पुरुषों के अपेक्षा अच्छी थी।
📚 दास प्रथा: लोथल से तीन युगल शवाधान तथा कालीबंगा से एक युगल शवाधान मिलने से इतिहासकारों ने हड़प्पा सभ्यता में सती प्रथा के प्रचलन का अनुमान लगाया है।
📚 सैंधव सभ्यता के निवासी संभवत: शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनों थे।
📚 वे आभूषणों के शौकीन थे, आभूषणों के आधार पर भी हैं उनमें अमीरी एवं गरीबी का अंतर कर सकते हैं- जैसे संपन्न वर्ग प्रायः सोना, चांदी, माणिक्य तथा हाथी दांत का उपयोग आभूषण के लिए करता था जबकि गरीब वर्ग के लोग प्राय: शंख, शीप और मिट्टी के बने हुए आभूषण पहनते थे।
📚 मनोरंजन के लिए हड़प्पावासी पांसे का खेल, शिकार और नृत्य का प्रयोग करते थे। हड़प्पा से एक श्रृंगारदान मिला है इसके अलावा चन्हूदरो से लिपिस्टिक एवं काजल लगाने की सलाई प्राप्त हुई है इसी प्रकार नौसरो से स्त्रियों के मांग में सिंदूर लगाए जाने के प्रमाण प्राप्त हैं जो आज भी हिंदू धर्म में स्त्रियों के सुहाग का प्रतीक माना जाता है।