हड़प्पा-सभ्यता का नगर नियोजन
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हड़प्पा सभ्यता: नगर योजना
नमस्कार दोस्तों! इस ब्लॉग में हम चर्चा करेंगे हड़प्पा सभ्यता के नगर नियोजन एवं उसकी विशेषताओं की।
हड़प्पा सभ्यता के नगर जाल की तरह व्यवस्थित थे। प्रायः नगर दो भागों में विभक्त थे-जिन्हें पूर्वी टीला एवं पश्चिमी टीला के नाम से पुकारा जाता है।
परंतु इसके कुछ अपवाद भी हैं-जैसे लोथल और सुरकोटडा में दो अलग-अलग टीले नहीं मिले हैं, वहीं चन्हूदरों एकमात्र ऐसा नगर था जो दुर्गीकृत नहीं था।इसी तरह धौलावीरा का नगर तीन भागों में विभक्त था।
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स्रोत - विकिपीडिया |
पूर्वी टीला
पूर्वी टीला, पश्चिमी टीला से अपेक्षाकृत बड़ा होता था। इसमें सामान्य नागरिक, व्यापारी,शिल्पकार, कारीगर और श्रमिक निवास करते थे। पूर्वी टीला प्रायः दुर्गीकृत नहीं होता था ।
पश्चिमी टीला
पश्चिमी टीला पूर्वी टीला की अपेक्षा छोटा किन्तु ऊंचे स्थान पर होता था और यह प्रायः दुर्गीकृत होता था।इसमें मुख्यत:महत्वपूर्ण प्रशासनिक और सार्वजनिक भवन होते थे।
सिंधु सभ्यता के नगरों में प्रत्येक आवासीय भवन में एक आंगन,एक रसोईघर और एक स्नान घर होता था।अधिकांश घरों में कुआं भी प्राप्त हुआ है। सामान्यतः मकान पक्की ईंटों के बने हुए मिले हैं,नालियों में भी प्रायः पक्की ईंटों का प्रयोग किया गया है। कुछ मकानों में मिले सीढ़ियों से पता चलता है कि इस सभ्यता में दो मंजिले भवन भी बनते थे। प्रदूषण से बचने के लिए घरों के दरवाजे एवं खिड़कियां मुख्य सड़क में ना खुलकर गलियों में खुलती थे। कच्चे एवं पक्के फर्श भी मिले हैं। कुछ भवनों के दीवारों पर प्लास्टर के भी साक्ष्य मिले हैं।
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घरों का पानी बहकर सड़कों तक आता था जहां उनके नीचे मोरियाँ बनी हुई थी। ये मोरियाँ ईटों और पत्थरों की सिल्लियों से ढकी रहती थीं। कांस्य युग की दूसरी किसी सभ्यता ने स्वास्थ्य और सफाई को इतना महत्व नहीं दिया जितना की हड़प्पा संस्कृति के लोगों ने दिया।