वैदिक संस्कृति: स्वदेशी या विदेशी

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 वैदिक संस्कृति: स्वदेशी या विदेशी 

  

वैदिक संस्कृति: स्वदेशी या विदेशी


नमस्कार दोस्तों!इस ब्लॉग में हम चर्चा करेंगे कि वैदिक संस्कृति के निर्माता कौन थे? इनका मूल निवास क्षेत्र क्या था तथा इस संस्कृति का विस्तार कहां से कहां तक था?

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वैदिक संस्कृति के निर्माता आर्य थे। आर्यों को लिपि का ज्ञान नहीं था। अतः वे अपने ज्ञान को सुनकर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाते थे इसलिए वैदिक साहित्य को ' श्रुति साहित्य' कहा जाता है इसका एक नाम ' संहिता' भी है।


आर्यों का मूल निवास स्थान

 

आर्यों के मूल निवास स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। इस संबंध में विभिन्न विद्वानों का मत निम्नलिखित है -


✍🏻 डॉक्टर अविनाश चंद्र दास एवं डॉक्टर संपूर्णानंद के अनुसार आर्यों का मूल निवास स्थान सप्त सिंधु प्रदेश था। 


✍🏻 स्वामी दयानंद सरस्वती एवं पार्टीजर के अनुसार आर्य तिब्बत क्षेत्र के निवासी थे.


✍🏻 वही पंडित बाल गंगाधर तिलक के अनुसार आर्यों का मूल निवास स्थान उत्तरी ध्रुव था।


✍🏻 जर्मन विद्वान मैक्स मूलर का मत सर्वाधिक मान्य है। मैक्स मूलर ने ऋग्वेद एवं ईरानी ग्रंथ ' जिंद अवेस्ता' में कई भाषाएं समानताओं के आधार पर आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया में बैक्ट्रिया को माना है। 


✍🏻 आर्य बाहर से आए थे या भारत के निवासी थे इस बात को लेकर अभी विवाद है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार मोहनजोदड़ो से प्राप्त बड़े पैमाने पर नर कंकाल आर्यों द्वारा किए गए आक्रमण को प्रमाणित करते हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि यह आक्रमण आर्यों ने किया था। अतः आर्य बाहरी थे परंतु आधुनिक शोधों से सिद्ध हो चुका है कि मोहनजोदड़ो से प्राप्त नरकंकाल किसी युद्ध में नहीं बल्कि मलेरिया जैसी किसी महामारी से मारे गए लोगों के हैं। ऐसा कोई भी पुरातात्विक एवं जीव वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है जिसके आधार पर यह सिद्ध किया जा सके की 5000 ईसा पूर्व से 800 ईसा पूर्व के बीच कोई नया जन समुदाय यहां आया था। इस आधार पर कहा जा सकता है कि आर्य भारत के निवासी थे।


वैदिक संस्कृत का विस्तार

     

वैदिक साहित्य में मिले विभिन्न नदियों के आधार पर इस संस्कृति के विस्तार का अनुमान लगाया जाता है। परंतु कुछ अन्य साक्ष्य भी प्राप्त होते है। इन साक्ष्यों के आधार पर इस संस्कृति का विस्तार अफगानिस्तान से लेकर नर्मदा नदी के उत्तर का संपूर्ण क्षेत्र अर्थात वर्तमान उत्तर भारत एवं अफगानिस्तान का क्षेत्र आर्यों के अधिकार में आ गया था।


वैदिक नदियां

   

वैदिक साहित्य में कुल 31 नदियों का उल्लेख है, जिसमें 25 का उल्लेख अकेले ऋग्वेद में है,ऋग्वेद के नदी सूक्त में 21 नदियों का उल्लेख है जिसमें सिंधु नदी का सर्वाधिक बार उल्लेख है। परंतु वैदिक आर्यों की सबसे पवित्र नदी' सरस्वती' थी। इसे 'नदीतमा'अर्थात नदियों में प्रमुख कहा गया है।


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