वैदिक संस्कृति

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वैदिक संस्कृति 


वैदिक संस्कृति

नमस्कार दोस्तों! इस ब्लॉग में हम वैदिक संस्कृति का संक्षिप्त अध्ययन करेंगे। विस्तृत अध्ययन के लिए आगे के ब्लॉगों को पढ़ें।

   

वैदिक शब्द 'वेद' से बना है वेद का अर्थ 'ज्ञान' है। वैदिक संस्कृति के निर्माता आर्य माने जाते हैं। वैदिक काल को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है- पूर्व वैदिक कल और उत्तर वैदिक काल।


वैदिक संस्कृति का अध्ययन करने के लिए हमारे पास पुरातात्विक तथा साहित्यिक दोनों प्रकार के स्रोत उपलब्ध हैं। वैदिक साहित्य से हमें इस कल के विषय में अनेक जानकारी प्राप्त होती है।वैदिक साहित्य के अंतर्गत चारों वेद, विभिन्न ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक एवं उपनिषदों को शामिल किया जाता है। पुरातात्विक साक्ष्यों में मृदभांड तथा ताम्रपुंज प्रमुख हैं। इसके अलावा स्मृतियों एवं पुराणों से भी वैदिक संस्कृति के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।


वैदिक संस्कृत में शासन का प्रमुख राजा होता था।परंतु उस पर नियंत्रण का कार्य सभा एवं समिति नामक दो संस्थाएं करती थी।राजा के प्रमुख अधिकारियों में पुरोहित एवं सेनानी थे। प्रसिद्ध दशराज्ञ युद्ध इसी समय हुआ था।

 

वैदिक संस्कृत पुरुष प्रधान था परंतु स्त्रियों की दशा अच्छी थी, उन्हें केवल संपत्ति का अधिकार नहीं प्राप्त था अन्य सभी क्षेत्रों में उन्हें पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त था।


वैदिक लोग शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन करते थे। भोजन में दूध, दही घी का विशेष महत्व था। ऋग्वेद में चावल और नमक का उल्लेख नहीं है। गाय को अघन्या कहा गया है अर्थात जो वध करने योग्य न हो।

  

वैदिक लोगों के लिए कृषि से ज्यादा महत्व पशुपालन का था। पशुओं में गाय की सर्वाधिक महत्ता थी।


आर्यों का प्रारंभिक जीवन कबायली था अतः उनके देवता भी प्राकृतिक शक्तियों के प्रतीक थे।


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