वैदिक संस्कृति: वैदिकोत्तर साहित्य
नमस्कार दोस्तों! इस ब्लॉग में हम चर्चा करेंगे वैदिकोत्तर साहित्य एवं उनसे संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों की।
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वैदिकोत्तर साहित्य में वेदांग और उपवेद रखे जाते हैं।
वेदांग
वेदों को सही ढंग से समझने के लिए वेदांगो की रचना हुई इनकी संख्या छः है, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद तथा ज्योतिष। ये सभी गद्य में लिखे गए हैं।
शिक्षा
वैदिक स्वरों के शुद्ध उच्चारण के लिए शिक्षा शास्त्र की रचना की गई है। इसे स्वनविज्ञान भी कहा जाता है।
कल्प
कल्पसूत्र के तीन भाग हैं - श्रौत सूत्र, गृह्य सूत्र और धर्मसूत्र। श्रौत सूत्र में यज्ञ वेदियों को नापने की विधि दी गई है। इसी से रेखागणित का आरंभ माना जाता है।
व्याकरण
व्याकरण का प्राचीनतम ग्रंथ पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी (ईसा पूर्व चतुर्थ सदी) है।पतंजलि ने महाभाष्य (ईसा पूर्व दूसरी सदी) और कात्यायन ने वार्तिक लिखा है । पाणिनी, पतंजलि और कात्यायन को मुनित्रय कहा जाता है।
निरुक्त
इसमें वैदिक शब्दों की व्युत्पत्ति बताई गई है। निरुक्तों में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ यास्क द्वारा रचित निरुक्त (ईसा पूर्व पांचवी सदी) है।
छंद
पद्दो को चरणों में सूत्रबद्ध करने के लिए छंद की रचना की गई है। पिंगल द्वारा रचित ग्रंथ छंद शास्त्र इसका प्राचीनतम ग्रंथ है।
ज्योतिष
ब्रह्मांड एवं नक्षत्र के विषय में भविष्यवाणी ज्योतिष का विषय है।ज्योतिष का प्रथम ग्रंथ लगधमुनि द्वारा रचित वेदांग ज्योतिष है।
उपवेद
उपवेद वेदों से संबंधित माने जाते हैं ये चार हैं- आयुर्वेद, गंधर्ववेद, धनुर्वेद और शिल्प वेद। आयुर्वेद, ऋग्वेद का उपवेद माना जाता है इसमें चिकित्सा संबंधी ज्ञान आता है। परवर्ती काल जीवक, चरक, धनवंतरी सुश्रुत् आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य हुए। गंधर्ववेद, सामवेद का उपवेद है यह संगीत कला से संबंधित है। धनुर्वेद, यजुर्वेद का उपवेद है यह युद्ध कला से संबंधित है। शिल्पवेद अथर्ववेद का उपवेद है इसमें शिल्प संबंधी कला का ज्ञान होता है।
स्मृति ग्रंथ
स्मृतियां हिंदू धर्म के कानूनी ग्रंथ है। ये पद्द में लिखे गए परंतु विष्णु स्मृति गद्य में लिखी गई है। मनुस्मृति सबसे प्रामाणिक एवं प्रमुख मानी जाती हैं ।सबसे नवीन स्मृति है देवल स्मृति यह पूर्व मध्यकाल में लिखी गई।अन्य प्रमुख स्मृतियां हैं- याज्ञवल्क्य स्मृति, नारद स्मृति,पाराशर स्मृति आदि करता है ।
पुराण
पुराण का शाब्दिक अर्थ है- प्राचीन आख्यान। पुराणों में प्राचीन राजवंशों का वर्णन है, इसमें महाभारत के युद्ध के पश्चात छठी शताब्दी ईस्वी तक राज करने वाले शासको की जानकारी के प्रमुख स्रोत पुराण ही माने जाते हैं। प्रमुख पुराणों में है वायु पुराण, मत्स्य पुराण, विष्णु पुराण, भागवत पुराण, मार्कंडेय पुराण, इसमें मत्स्य पुराण सबसे प्राचीन है।
धर्मशास्त्र
यह धर्मसूत्र, स्मृतियों और टीकाओं का सामूहिक नाम है।