महाजनपादों का उदय
(600 B.C.)
लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व में गंगा- यमुना दोआब एवं बिहार में लोहे के प्रचुर प्रयोग के कारण अधिशेष उत्पादन होने लगा, जिससे उत्तर वैदिक काल के जनपद अब महाजनपदों में परिवर्तित हो गए।बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय एवं जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।इनका वर्णन निम्नलिखित है -
सोलह महाजनपदों के नाम
1- कोसल:
इसकी राजधानी श्रावस्ती थी जिसकी पहचान उत्तर प्रदेश के आधुनिक श्रावस्ती जिले के सहेत-महेत नामक ग्राम से की जाती हैं।कोशल देश के प्रसिद्ध राजा प्रसेनजित थे।
2: गांधार
गांधार में पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफ़ग़ानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र और कश्मीर का कुछ भाग शामिल था। इसकी राजधानी तक्षशिला थी। जो प्राचीन काल में विद्या एवं व्यापार का प्रसिद्ध केंद्र थी।रामायण से पता चलता है कि तक्षशिला नगर की स्थापना भारत के पुत्र तक्ष ने की थी।
3: चेदि -
आधुनिक बुंदेलखंड का इलाका ही प्राचीन काल में चेदि महाजनपद था। महाभारत काल में यहां का शासक शिशुपाल था, जिसका वध कृष्ण के द्वारा किया गया था।
4- वज्जि :
वज्जि यह आठ गणतांत्रिक कुलों का संघ था, जो उत्तर बिहार में गंगा के उत्तर में अवस्थित थी तथा जिसकी राजधानी वैशाली थी। इसमें आज के बिहार राज्य के दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर व मुजफ्फरपुर जिले सम्मिलित थे। इसकी राजधानी वैशाली थी।
5- वत्स:
वत्स उत्तर प्रदेश के प्रयाग (आधुनिक प्रयागराज) के आस-पास केन्द्रित था। पुराणों के अनुसार, राजा निचक्षु ने यमुना नदी के तट पर अपने राज्य वंश की स्थापना तब की थी, जब हस्तिनापुर राज्य का पतन हो गया था। इसकी राजधानी कौशाम्बी थी। यहां का प्रसिद्ध शासक उदयन था।
6- पांचाल:
पांचाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश पास केन्द्रित था। पांचाल की दो शाखाये थी– उत्तरी और दक्षिणी। उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र और दक्षिणी पांचाल की काम्पिल्य थी। ब्रह्मदत्त" पांचाल देश का एक महान शासक था। द्रौपदी भी पांचाल की ही थी।
7- मगध:
इसकी प्रारम्भिक राजधानी राजगीर थी, जो चारो तरफ से पर्वतो से घिरी होने के कारण गिरिब्रज के नाम से जानी जाती थी। मगध की स्थापना बृहद्रथ ने की थी। बृहद्रथ के बाद जरासंध यहाँ का शाशक था। शतपथ ब्राह्मण में इसे कीकट कहा गया है। मगध सभी महाजनपदों में सबसे शक्तिशाली महाजनपद के रूप में जाना जाता है।
8- मत्स्य:
इसमें राजस्थान के अलवर, भरतपुर तथा जयपुर जिला के क्षेत्र शामिल थे। इसकी राजधानी विराटनगर थी।
9- मल्ल:
यह भी एक गणसंघ था और जो गोरखपुर के आसपास था। मल्लों की दो शाखाएँ थीं। एक की राजधानी कुशीनारा थी, जो वर्तमान कुशीनगर है तथा दूसरे की राजधानी पावा थी जो वर्तमान फाजिलनगर है। कुशीनगर में महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ जबकि पावा में महावीर को।
10- शूरसेन:
इसकी राजधानी मथुरा थी। यह कुरु महाजनपद के दक्षिण में स्थित था। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार अवंतिपुत्र यहाँ का राजा था। पुराणों में मथुरा के राजवंश को शूरसैनीवंश कहा गया है। अपने ज्ञान, बुद्धि और "वैभव" के कारण यह नगर अत्यन्त प्रसिद्ध था। कृष्ण यहीं के राजा थे।
11-अवन्ति:
आधुनिक मालवा ही प्राचीन काल की अवन्ति है। इसके दो भाग थे― उत्तरी अवन्ति और दक्षिणी अवन्ति। उत्तरी अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी और दक्षिणी अवन्ति की राजधानी महिष्मती थी।
12-अश्मक :
अश्मक दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद था। नर्मदा और गोदावरी नदियों के बीच स्थित इस प्रदेश की राजधानी पोतना अथवा पोटिल थी। धीरे-धीरे यह राज्य अवन्ति के अधीन हो गया।
13-अंग:
अंग महाजनपद यह मगध के पूरब मे स्थित था। वर्तमान बिहार के मुंगेर और भागलपुर जिले इस महाजनपद के अंग थे। इसकी राजधानी चंपा थी। चंपा उस समय भारतवर्ष के सबसे प्रसिद्ध नगरों में से एक थी। मगध और अंग के बीच हमेशा संघर्ष होता रहता था और अंत में मगध के बिंबिसार इस राज्य को पराजित कर अपने में मिला लिया। इसका प्रथम उल्लेख अथर्ववेद मे मिलता है।
14- कम्बोज:
कम्बोज आधुनिक काल के राजौरी और हजारा जिले में स्थित था। हाटक या राजपुर इसकी राजधानी थी।
15- काशी:
इसकी राजधानी वाराणसी थी। जो वरुणा और असी नदियों की संगम पर बसी थी। वर्तमान की वाराणसी व आसपास का क्षेत्र इसमें सम्मिलित था। 23वें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ के पिता अश्वसेन काशी के राजा थे। इसका कोशल राज्य के साथ संघर्ष रहता था। प्रारम्भ में यही सबसे शक्तिशाली महाजनपद था ।
16- कुरु:
कुरु में आधुनिक हरियाणा तथा दिल्ली का यमुना नदी के पश्चिम वाला क्षेत्र शामिल था। इसकी राजधानी आधुनिक इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) थी। महाभारतकालीन हस्तिनापुर का नगर भी इसी राज्य में शामिल था।