बिंदुसार कहाँ का शासक था

Gyanalay
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बिंदुसार

 बिंदुसार 

(298 ईसा पूर्व से 273 ईसा पूर्व) 


बिंदुसार मौर्य साम्राज्य के दूसरे सम्राट थे, जिन्होंने 298ईसा पूर्व से 273 ईसा पूर्व तक शासन किया। वह चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र थे और महान सम्राट अशोक के पिता थे। बिंदुसार को अमित्रघात, सिंहसेन, मद्रसार और अजातशत्रु वरिसार जैसी कई उपाधियों से भी जाना जाता है।



बिंदुसार ने अपने पिता से एक विशाल साम्राज्य विरासत में प्राप्त किया और दक्षिण भारत की ओर अपनी विजय अभियान जारी रखी। उनके शासनकाल में तक्षशिला के लोगों ने दो बार विद्रोह किया, जिनमें से एक को उनके पुत्र अशोक ने दबाया।


बिंदुसार के शासनकाल में भी चाणक्य उनके प्रधान मंत्री बने रहे, जो उनके पिता के भी प्रधान मंत्री थे। उनके शासनकाल में सीरिया के सम्राट के साथ मित्रता कायम रही, और मेगस्थनीज़ का उत्तराधिकारी डाइमेकस सीरिया के सम्राट एंटीयोकस प्रथम का दूत बनकर बिंदुसार के दरबार में आया। बिंदुसार ने एक पत्र लिखकर एंटीयोकस प्रथम से निम्नलिखित वस्तुओं की मांग की- 


1:अंगूरी मदिरा 

2:अंजीर 

3:दार्शनिक


 दार्शनिक को छोड़कर अन्य वस्तुओं को एंटीयोकस प्रथम ने बिंदुसार के पास भेजा। मिश्र के शासक टॉलमी द्वितीय फिलाडेल्फस ने डायनोसिस नामक एक राजदूत को बिन्दुसार के दरबार में भेजा।


बिंदुसार के नाम और उपाधियाँ- 


1-अमित्रघात: उनकी विजयों की वजह से दिया गया नाम।

2-सिंहसेन : जैन ग्रंथ राजावलीकथे में पाया जाने वाला नाम।

3-मद्रसार: वायुपुराण में पाया जाने वाला नाम।

4-अजातशत्रु वरिसार: भागवत पुराण में पाया जाने वाला नाम।

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 बिंदुसार धर्म सहिष्णु था।  दिव्यावदान में उल्लेख मिलता है कि आजीवक संप्रदाय के पिंगलवत्स से बिंदुसार के मधुर संबंध थे।

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