भारत 🇮🇳 में धार्मिक आंदोलन

Gyanalay
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भारत 🇮🇳 में धार्मिक आंदोलन

भारत 🇮🇳 में धार्मिक आंदोलन 


ईसा पूर्व छठी सदी के उत्तरार्द्ध में मध्य गंगा के मैदानों में अनेक धार्मिक संप्रदायों का उदय हुआ। इन आंदोलनों में जैन धर्म और बौद्ध धर्म सबसे महत्वपूर्ण थे। इसी समय विश्व के अनेक देशों में भी बौद्धिक आंदोलन के प्रमाण मिलते हैं। जैसे- चीन में कन्फ्यूशियस, ईरान में जरथ्रुष्ट तथा यूनान में पाइथागोरस

     

इन धार्मिक आंदोलनों के उदय में सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक कारण विद्यमान थे।


जैन धर्म 


जैन धर्म एक प्राचीन भारतीय धर्म है, जिसकी उत्पत्ति 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी। जैन धर्म के संस्थापक प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव या आदिनाथ थे। इनका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक स्वामी महावीर को माना जाता है। जैन धर्म के अनुयायी जैन कहलाते हैं। 


जैन धर्म के मुख्य सिद्धांत और अवधारणाएं निम्नलिखित हैं:


पंच महाव्रत 


1. अहिंसा: जैन धर्म में अहिंसा को सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत माना जाता है।


2. अपरिग्रह: जैन धर्म में अपरिग्रह को महत्व दिया जाता है, जिसका अर्थ है वैराग्य और संयम।


3. अस्तेय: जैन धर्म में अस्तेय को महत्व दिया जाता है, जिसका अर्थ है चोरी न करना।


4. ब्रह्मचर्य: जैन धर्म में ब्रह्मचर्य को महत्व दिया जाता है, जिसका अर्थ है विवाह से दूर रहना।


5. सत्य: जैन धर्म में सत्य को महत्व दिया जाता है, जिसका अर्थ है सच बोलना।


त्रिरत्न 


1: सम्यक दर्शन 

2: सम्यक ज्ञान 

3: सम्यक आचरण 


जैन धर्म के 24 तीर्थंकर:


1.ऋषभदेव 

2.अजितनाथ 

3.संभवनाथ 

4. अभिनंदननाथ       

5. सुमतिनाथ 

6. पद्मप्रभ।            

7. सुपार्श्वनाथ 

8. चंद्रप्रभ।             

9. सुविधिनाथ 

10. शीतलनाथ

11. श्रेयांसनाथ 

12. वासुपूज्य

13. विमलनाथ 

14. अनंतनाथ

15. धर्मनाथ 

16. शांतिनाथ

17. कुंथुनाथ 

18. अरनाथ

19. मल्लिनाथ 

20. मुनिसुव्रतनाथ

21. नमिनाथ 

22. नेमिनाथ

23. पार्श्वनाथ 

24. महावीर


जैन धर्म के संप्रदाय 


श्वेतांबर और दिगंबर जैन धर्म के दो प्रमुख संप्रदाय हैं। ये दोनों संप्रदाय जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को मानते हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी हैं- 


1:श्वेतांबर


श्वेतांबर संप्रदाय की स्थापना 79 ईस्वी में हुई थी। इस संप्रदाय के अनुयायी श्वेतांबर कहलाते हैं।


मुख्य विशेषताएं:


1. श्वेतांबर मानते हैं कि जैन मुनियों को कपड़े पहनने की अनुमति है।

2. वे मानते हैं कि महिलाएं भी मोक्ष प्राप्त कर सकती हैं।

3. श्वेतांबर संप्रदाय में जैन मुनियों को भिक्षा मांगने की अनुमति है।


2:दिगंबर


दिगंबर संप्रदाय की स्थापना 30 ईस्वी में हुई थी। इस संप्रदाय के अनुयायी दिगंबर कहलाते हैं।


मुख्य विशेषताएं:


1. दिगंबर मानते हैं कि जैन मुनियों को कपड़े नहीं पहनने चाहिए।

2. वे मानते हैं कि महिलाएं मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकती हैं।

3. दिगंबर संप्रदाय में जैन मुनियों को भिक्षा मांगने की अनुमति नहीं है।


इन अंतरों के बावजूद, श्वेतांबर और दिगंबर दोनों संप्रदाय जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को मानते हैं और जैन धर्म के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।


जैन धर्म एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक धर्म है, जो अहिंसा और संयम को महत्व देता है।

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