हर्यक वंश
अजातशत्रु या कुणिक
(492 B.C.- 460 B.C.)
अजातशत्रु मगध साम्राज्य का एक शक्तिशाली सम्राट था, जिसने 492 ईसा पूर्व से 460 ईसा पूर्व तक शासन किया। वह बिम्बिसार का पुत्र था और उसने अपने पिता की हत्या करके राज्य प्राप्त किया था। अजातशत्रु ने अपने शासनकाल में मगध साम्राज्य का विस्तार किया और अंग, लिच्छवि, वज्जि, कोसल तथा काशी जनपदों को अपने राज्य में मिलाकर एक विस्तृत साम्राज्य की स्थापना की।
अजातशत्रु के समय की सबसे महान घटना बुद्ध का महापरिनिर्वाण थी, जो 483 ईसा पूर्व में हुआ था। उस घटना के अवसर पर बुद्ध की अस्थि प्राप्त करने के लिए अजात शत्रु ने भी प्रयत्न किया था और अपना अंश प्राप्त कर उसने राजगृह की पहाड़ी पर स्तूप बनवाया ।
अजातशत्रु की विस्तार नीति में उसने कोसल एवं पश्चिम में काशी को अपने राज्य में मिला लिया। उसने वज्जि संघ के साथ युद्ध में 'महाशिला कंटक' नामक हथियार का प्रयोग किया, जो एक बड़े आकार का यन्त्र था।
उदायिन या उदयभद्र
(460B.C.- 444B.C.)
अजातशत्रु के बाद उदायिन मगध का राजा बना। बौद्ध ग्रन्थानुसार इसे पितृहन्ता लेकिन जैन ग्रन्थानुसार पितृभक्त कहा गया है। इसकी माता का नाम पद्मावती था।
उदायिन शासक बनने से पहले चम्पा का उपराजा था। वह पिता की तरह ही वीर और विस्तारवादी नीति का पालक था। इसने पाटलिपुत्र (गंगा और सोन के संगम) को बसाया तथा अपनी राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र स्थापित की।
मगध के प्रतिद्वन्दी राज्य अवन्ति के गुप्तचर द्वारा उदयन की हत्या कर दी गई।
उदयिन के बाद उसके तीन पुत्रों अनिरुद्ध, मुंडक और नागदशक ने बारी-बारी से राज किया। इस वंश का अंतिम शासक नागदशक ही था उसके बाद शिशुनाग नामक एक योग्य अमात्य ने शिशुनाग वंश(412B.C.)की स्थापना की। इस प्रकार हर्यक वंश का पतन हुआ।