हिंदी व्याकरण - विशेषण की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं। प्राणी, वस्तु, स्थन आदि के रूप, आकार, अवस्था, रंग, गणना आदि की दृष्टि से अनेक गुण होते हैं।
विशेषण की परिभाषा
जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता का बोध हो, उसे ‘विशेषण’ कहते हैं।
जैसे
संख्या- वहाँ दो लड़के बैठे हैं।
आकार- अध्यापक के हाथों में छोटी छड़ी है।
अवस्था- श्याम दस वर्ष का है।
रूप- राधा सुन्दर लड़की है।
गुण- उसका कोट पुराना था।
स्वभाव- मोहन मिलनसार व्यक्ति है।
स्थिति- शीला उनकी लाडली बेटी है।
यहां दो, छोटी दस, सुन्दर, पुराना, मिलनसार आदि शब्द विशेषण हैं।
विशेष्य
उस शब्द को कहते हैं, जिसकी विशेषता बताई जाती है।
जैसे – मोहन सुन्दर बालक है। यहां बालक विशेष्य है।
प्रविशेषण- कभी-कभी विशेषण की भी विशेषता बतानी पड़ती है। इस काम को प्रविशेषण संपन्न करता है।
जैसे- श्याम बहुत सुन्दर है। यहां सुन्दर विशेषण है, और बहुत प्रविशेषण है।
विशेषण के भेद
विशेषण के मुख्य रूप से चार भेद हैं- गुणवाचक, परिमाणवाचक, सार्वनामिक और संख्यावाचक।
गुणवाचक विशेषण
जिस विशेषण से किसी संज्ञा या सर्वनाम का गुण-दोष, रूप-रंग, आकार-प्रकार का पता चले उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- वे विद्वान व्यक्ति हैं।
सोहन दुष्ट लड़का है।
वह मोटा आदमी इधर ही आ रहा है।
ऊपर के वाक्यों में विद्वान, दुष्ट, मोटा दिए गए गुणवाचक विशेषण संज्ञाओं औऱ सर्वनामों के गुण-दोष, रूप-रंग का बोध कराते हैं।
परिमाणवाचक विशेषण
जिस विशेषण स, किसी संज्ञा के परिमाण का बोध हो, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- मुझे थोड़ी चाय दो।
एक मीटर कपड़े से काम चल जाएगा।
यह गाय बहुत दूध देती है।
ऊपर के वाक्यों में थोड़ी, एक मीटर, बहुत शब्द परिमाणवाचक विशेषण हैं।
परिमाणवाचक विशेषण के भी दो भेद होते हैं-
निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
जिस विशेषण से किसी संज्ञा के निश्चित माप-तौल का बोध हो, उसे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- राम बाजार से चार किलो आटा लाया है।
दो मीटर कपड़े से मेरी कमीज बन जाएगी
ऊपर के वाक्यों में चार किलो, दो मीटर आदि शब्द निश्चित माप-तौल का बोध कराते हैं।
अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
जिस विशेषण में किसी संज्ञा का कोई निश्चित परिमाण ज्ञात न हो, उसे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- सभागार में अनेक आदमी थे।
विद्यालय में कुछ छात्र हड़ताल पर हैं।
ऊपर के वाक्यों में अनेक, कुछ आदि शब्द अनिश्चित परिमाण का बोध कराते हैं।
सार्वनामिक विशेषण
पुरुषवाचक या निजवाचक सर्वनामों को छोड़कर अन्य सर्वनाम जब किसी संज्ञा की विशेषता बतलाएं, तो उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे- यह आदमी विश्वासी है।
मेरा घर इसी शहर में है।
आपका पत्र मिला।
ऊपर के वाक्यों में वह, मेरा, आपका आदि शब्द सार्वनामिक विशेषण के उदाहरण है।
नोट- ऐसा, कैसा, जैसा यौगिक सर्वनाम किसी की विशेषता बताते हैं, अतः ये सभी यौगिक सर्वनामिक विशेषण हैं।
संख्यावाचक विशेषण
जिस विशेषण से संज्ञा की संख्या का बोध हो, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- यहाँ तीन बालक और चार बालिकाएँ हैं।
तीसरा आदमी कहां है?
हर एक आदमी इमानदार है।
संख्यावाचक विशेषण के पाँच भेद हैं,-
गणनावाचक- पूर्णांक और अपूर्णांक बोधक
जैसे दो आदमी जा रहे हैं।
आधा किलो दाल है।
क्रमवाचक- संख्या के क्रमांक को सूचित करता है।
जैसे- पहला व्यक्ति आगे रहेगा।
तीसरा और चौथा आदमी एक-दूसरे के आगे-पीछे रहेंगे।
आवृत्तिवाचक- जो किसी संख्या की आवृत्ति को सूचित करता है।
जैसे- दूना, तिगुना, चार गुना।
समुदायवाचक- समूह या समुदाय का बोध होता है।
जैसे- दोनों, तीनों, चारों आदि।
प्रत्येकवाचक- जो संख्या एक का बोध कराए।
जैसे- प्रत्येक, हरेक, एक-एक।लह
विशेषण की तुलनावस्था
जब दो संख्याओं के गुण व अवस्था की तुलना की जाती है तब विशेषण से पूर्व से अपेक्षाकृत, की अपेक्षा, की तुलना में, मुकाबले में, से कहीं बढ़कर, से बढ़-चढ़कर आदि का प्रयोग किया जाता है-
जैसे- रानी तुम्हारी लड़की से छोटी है।
मोहन का घर तुम्हारे घऱ से बड़ा है।
राम की अपेक्षा रवि सुन्दर है।
सोहन के मुकाबले श्याम मोटा है।
ऊपर के वाक्यों में मोटे अक्षरों में दिए गए शब्द दो संज्ञाओं के गुण और अवस्था को तुलनात्मक दृष्टि से दिखाते हैं।
जब दो संज्ञाओं के बीच तुलना होती है, तो विशेषण की स्थिति को उत्तरावस्था कहते है, दो से अधिक की स्थिति को उत्तमावस्था कहते हैं। पर जब कहीं कोई तुलना न की गई हो, तब विशेषण की अवस्था में मूलावस्था कहते हैं।
ऊपर बताए गए तरीके के अलावा विशेषण की मूलावस्था में तर और तम लगाकर उसके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था की तुलनात्मक दृष्टि से दिखाया जाता है।
मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था
अधिक अधिकतर अधिकतम
उच्च उच्चतर उच्चतम
सुन्दर सुन्दरतर सुन्दरतम
निम्न निम्नतर निम्नतम
कोमल कोमलतर कोमलतम
विशेषण की रचना और उनके प्रयोग
आकारान्त विशेषण पुल्लिंग में प्रायः आकारान्त ही रहते हैं, किन्तु स्त्रीलिंग में ईकारान्त हो जाते हैं।
पुल्लिंग स्त्रीलिंग
अच्छा लड़का अच्छी लड़की
बड़ा आदमी बड़ी स्त्री
छोटा लड़का छोटी लड़की
पुल्र्लिंग में विभक्ति या परसर्ग लगने पर उसमें परिवर्तन आ जाता है। यथा-
एकवचन बहुवचन
अच्छा घोड़ा अच्छे घोड़े
अच्छा लड़का अच्छे लड़के
उपसर्गों की सहायता से भी विशेषण बनाए जा सकते हैं।
उपसर्ग उपसर्गयुक्त शब्द
प्रति – कूल प्रतिकूल
स – गुण सगुण
निर् – गुण निर्गुण
दुर् – गम दुर्गम
निः – कपट निष्कपट
संज्ञा-पदों में प्रत्यय लगाकर विशेषण बनाया जाता है। जैसे-
संज्ञा प्रत्यय विशेषण
गुलाब - ई गुलाबी
राष्ट्र - ईय राष्ट्रीय
इतिहास - इक ऐतिहासिक
प्यास - आ प्यासा
श्री - मान् श्रीमान
स्वतंत्र रूप में विशेषणों की संख्या कम है। आवश्यकतानुसार संज्ञा से ही विशेषणों को बनाया जाता है।
संज्ञा विशेषण
अंक अंकित
अर्थ आर्थिक
अभ्यास अभ्यस्त
उत्कर्ष उत्कृष्ट
उपन्यास औपन्यासिक
उपनिषद औपनिषदिक
अंचल आँचलिक
कल्पना कल्पित
काम काम्य
चक्षु चाक्षुष
तर्क तार्किक
नरक नारकीय
निशा नैश
नगर नागरिक
उपार्जन उपार्जित
पल्लव पल्लवित
भूगोल भौगोलिक
प्रमाण प्रामाणिक
परिचिय परिचित
निषेध निषिद्ध
रस रसीला
विवाह वैवाहिक
विपत्ति विपन्न
स्तुति स्तुत्य
शिव शैव