इतिहास के महत्वपूर्ण बिंदु
जमाली जो महावीर के दामाद भी थे, महावीर के पहले शिष्य थे। जमाली महावीर से कुण्डग्राम में मिले, जहाँ महावीर का जन्म हुआ था।
जैन धर्म में ‘कैवल्य’ शब्द का अर्थ ‘पूर्ण ज्ञान’ या आध्यात्मिक मुक्ति से है। इसको मोक्ष और निर्वाण भी कहा जाता है। यह आत्मा की परम शुद्धि और मुक्ति की अवस्था है।
जैन धर्म में कैवल्य की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को तीन मुख्य आचरणों का पालन करना आवश्यक होता है, जिन्हें त्रिरत्न कहा जाता है-
सम्यक दर्शन (सही विश्वास)
सम्यक ज्ञान (सही ज्ञान)
समय्क चरित्र (सही आचरण)
कैवल्य को प्राप्त करने वाले व्यक्ति को केवली कहा जाता है, जिसका अर्थ है, वह व्यक्ति जिसने संपूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया है।
बौद्ध धर्म पुनर्जन्म में विश्वास करता है। यह अनात्मवादी धर्म है, इसमें आत्मा की परिकल्पना नहीं की गई है।
बौद्ध धर्म के आष्टांगिक मार्ग में आठ अभ्यास होते हैं-
समय्क दृष्टि,
समय्क संकल्प,
सम्यक वाणी,
सम्यक आचरण,
सम्यक आजीविका,
सम्यक प्रयास,
सम्यक स्मृति और
सम्यक समाधि।
बुद्ध के जीवन की घटनाएं और उनके प्रतीक-
बुद्द का जन्म- कमल और बैल
महान प्रस्थान (महाभिनिष्क्रमण) -घोड़ा
ज्ञानोदय- बोधि वृक्ष
प्रथम उपदेश- पहिया
मृत्यु (परिनिर्वाण)- स्तूप
हर्यंक वंश के बिंबिसार महावीर और बुद्ध दोनों के समकालीन थे। जैन ग्रंथों में उल्लेख है कि वह भगवान महावीर के शिष्य थे।
उज्जैन का प्राचीनतम नाम अवंतिका है। उज्जैन जनसंख्या के हिसाब से मध्य प्रदेश का पाँचवाँ सबसे बड़ा शहर है।
जैन तथा बौद्ध ग्रंधों के अनुसार वैशाली के विभिन्न संदर्भों का पता लगाया जा सकता है, इन ग्रंथों की जानकारी के आधार पर, वैशाली को 6वीं शताब्दी ईसापूर्व में एख गणतंतच्र के रूप में स्थापित किया गया था. यानी गौतम बुद्ध के जन्म से पहले, जिससे यह दुनिया का पहला गणतंत्र बन गया था।
जैन ग्रंथ अनुत्तर निकाय में, महावस्तु (बौद्ध ग्रंथ), भगवती सूत्र (जैन ग्रंथों) में 16 महाजनपदों का उल्लेख है।
हाइडेस्पीज की लड़ाई- सिकंदर और पोरस के बीच लड़ी गई। हाइडेस्पीज को झेलम नदी माना गया है।
अशोक ने अपने शासन के 14वें वर्ष धर्म महापात्र की नियुक्ति की थी। अशोक के शासन काल के अन्य महत्वपूर्ण वर्ष-
8वें वर्ष- कलिंग युद्ध
10वें वर्ष- बोधगया की यात्रा
20 वें वर्ष- लुम्बिनी की यात्रा
अशोक के दूसरे शिलालेख में दक्षिण भारत के राज्यों का उल्लेख किया गया है। इसमें पांड्यों, सत्यपुरों, केरलपुत्रों का उल्लेख है।
पुष्यमित्र शुंग मौर्य वंश के अंतिम शासक वृहदृथ की हत्या की और शुंग वंश की स्थापना की। पुष्यमित्र वृहदृथ का सेनापति था।
इंडिका पुस्तक यूनानी लेखर मेगस्थनीज द्वारा लिखित मौर्य भारत का लेखा-जोखा है। मौर्य साम्राज्य के तहत प्राचीन भारत के पुननिर्माण में इंडिका का महत्व है। यह हमें भारत की समृद्ध संस्कृति और अर्थव्यवस्था को दिखाता है और हमें प्राचीन भारतीय लोगों के प्रशासन, विविध संस्कृति और दर्शन को समझने में भी मदद करता है।
अशोक के शाहबाजगढ़ी एवं मानसेहरा अभिलेख खरोष्ठी लिपि में लिखित है।
अशोक के सोहगौरा तांबे की प्लेट (ताम्रपत्र), जिसमें राहत प्रयासों का उल्लेख है। सोहगौरा तांबे की प्लेट के समय उपयोग की जाने वाली अनाज की एक जोड़ी को संदर्भित करता है।
पुष्यमित्र शुंग- वह ब्राह्मणवाद का कट्टर अनुयायी था। उन्होंने दो अश्वमेघ यज्ञ किए। बौद्ध स्त्रोत उन्हें बौद्ध धर्म के उत्पीड़क के रूप में संदर्भित करते हैं। लेकिन इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि पुष्यमित्र ने बौद्ध कला का संरक्षण किया था। उसके शासनकाल के दौरान, भरहुत और सांची में बौद्ध स्मारकों का जीर्णोद्वार किया गया और उनमें और सुधार किया गया। सांस्कृतिक क्षेत्र में उन्होंने ब्राह्मणवाद और अश्वबलि को पुनर्जीवित किया। उन्होंने वैष्णववाद और संस्कृत भाषा के विकास को भी बढ़ावा दिया।
इलाहाबाद के प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख में समुद्रगुप्त की उपाधि ‘धर्म प्रचार बंधु’ मिलती है। कुछ अन्य गुप्त राजा एवं उनकी उपाधियां निम्न हैं-
चंद्रगुप्त प्रथम– महाराजाधिराज
समुद्रगुप्त- पराक्रमांक, धर्म प्रचार बंधु
कुमारगुप्त- महेंद्रादित्य
स्कंदगुप्त- क्रमादित्य
मिलिंद-पन्हों की रचना नागसेन ने की थी। यह पालि भाषा का ग्रंथ है। इस ग्रंथ में यूनानी शासक मिनांडर एवं बौद्ध भिक्षु नागसेन का दार्शनिक वार्तालाप मिलता है।
मनिग्रामम व्यापारियों की एक श्रेणी थी जो समुद्र तटीय और विदेशी व्यापार में संलग्न थी। इसके अतिरिक्त व लिंजयर और नानादेशी भी व्यापारिक श्रेणी थी।