मगध का उत्कर्ष
हर्यक वंश(544- 412B.C.)
बिम्बिसार ( 544 से 492 ई.पू.) हर्यक राजवंश का संस्थापक था। जैन साहित्य में बिम्बिसार का नाम श्रेणिक मिलता है।
बिंबिसार (544- 492B.C.)
वह एक कूटनीतिज्ञ और दूरदर्शी शासक था। उसने प्रमुख राजवंशों में वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर राज्य का विस्तार किया। सबसे पहले उसने लिच्छवि गणराज्य के शासक चेतक की पुत्री चेल्लना के साथ विवाह किया। दूसरा प्रमुख वैवाहिक सम्बन्ध कोशल राजा प्रसेनजीत की बहन महाकोशला के साथ विवाह किया। इसके बाद मद्र देश (आधुनिक पंजाब) की राजकुमारी क्षेमा के साथ विवाह किया।
महावग्ग के अनुसार बिम्बिसार की ५०० रानियाँ थीं। उसने अंग राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया था . वहाँ अपने पुत्र अजातशत्रु को उपराजा नियुक्त किया था।
बिम्बिसार महात्मा बुद्ध का मित्र और संरक्षक था। विनय पिटक के अनुसार बुद्ध से मिलने के बाद उसने बौद्ध धर्म को ग्रहण किया, लेकिन जैन और ब्राह्मण धर्म के प्रति उसकी सहिष्णुता थी। बिम्बिसार ने करीब 52 वर्षों तक शासन किया। बौद्ध और जैन ग्रन्थानुसार उसके पुत्र अजातशत्रु ने उसे बन्दी बनाकर कारागार में डाल दिया था जहाँ उसका 492 ई. पू. में निधन हो गया।
महत्वपूर्ण तथ्य -
1: बिम्बिसार ने अपने बड़े पुत्र दर्शक को उत्तराधिकारी घोषित किया था।
2: भारतीय इतिहास में बिम्बिसार प्रथम शासक था जिसने स्थायी सेना रखी।
3: बिम्बिसार ने राजवैद्य जीवक को भगवान बुद्ध की सेवा में नियुक्त किया था।
4: बौद्ध भिक्षुओं को निःशुल्क जल यात्रा की अनुमति दी थी।
5: बिम्बिसार की हत्या महात्मा बुद्ध के विरोधी देवव्रत के उकसाने पर अजातशत्रु ने की थी।
6: बिम्बसार ने बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर वेलुबन दान में दिया जिसके वर्णन विनयपिटक से मिलता है।
7: आम्रपाली वैशाली की नर्तकी एवं परम रूपवती कला प्रवीण गणिका थी। वो बुद्ध की परम उपासक थी । आम्रपाली के सौन्दर्य पर मोहित होकर बिम्बिसार उन्हें लिच्छवि से जीतकर राजगृह ले आया। उनसे विवाह किया। दोनों के संयोग से जीवक नामक पुत्र हुआ। बिम्बिसार ने जीवक को शिक्षा प्राप्त करने हेतु तक्षशिला भेजा।