कलिंग का चेदि वंश
इस वंश का संस्थापक महामेधवाहन था।
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खारवेल:
कलिंग के चेदिवंश का सबसे प्रतापी शासक खारवेल था। इसके विषय में जानकारी का प्रमुख स्रोत इसका हाथी गुम्फ़ा अभिलेख है। इससे निम्नलिखित महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होते हैं -
1: महापद्मनंद द्वारा कलिंग में नहर खुदवाए जाने का उल्लेख है अर्थात यह नहर की जानकारी देने वाला प्रथम अभिलेखीय साक्ष्य है।
2: इस अभिलेख में जैन भिक्षुओं को ग्राम दान में दिए जाने का उल्लेख है। इस तरह जैन लोगों को ग्राम दान में दिए जाने का प्रथम उल्लेख इस अभिलेख से प्राप्त होता है।
3: इस अभिलेख में दक्षिण के तीन राज्यों चेर, चोल एवं पांड्यों का उसके द्वारा पराजित किया जाने का उल्लेख है। पांड्य शासक के यहां उसने गधे से हल चलवाया था।
वाकाटक वंश
यह भी ब्राह्मण वंश था। वाकाटको ने कुल 200 वर्षों तक शासन किया। इस वंश का संस्थापक विंध्यशक्ति (255-275 ई.) था। इसकी राजधानी नांदिवर्धन (नागपुर) में थी।
प्रवरसेन प्रथम (275-335A.D.) यह वाकाटक वंश का वास्तविक संस्थापक था। इसने कुल चार अश्वमेघ यज्ञ एवं वाजपेय यज्ञ किया।
रुद्रसेन द्वितीय (385-390A.D.)
इसने सेतुबंध नामक पुस्तक की रचना प्राकृत भाषा में की।
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अजंता की गुफा संख्या 9 एवं 10 वाकाटक काल से ही संबंधित है।