मौर्योत्तर काल नोट्स पीडीएफ

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मौर्योत्तर काल नोट्स पीडीएफ

 मौर्योत्तर काल 

मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत का इतिहास दो भागों में बंट जाता है। मध्य एशिया से विदेशी आक्रमण हुए और इन आक्रमणकारियों ने उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत तथा मध्य भारत के एक बड़े क्षेत्र पर अपना अधिकार कायम कर लिया। दूसरी तरफ क्रमशः शुंग, कण्व, आंध्र-सातवाहन एवं वाकाटक आदि वंश स्थापित हुए। इस काल के विषय में जानकारी देने वाले प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं -


1-बौद्ध ग्रंथ:

       इस कल के इतिहास पर प्रकाश डालने वाले प्रमुख बौद्ध ग्रंथ दिव्यावदान, ललित-विस्तार एवं मंजुश्री मूलकल्प हैं। दिव्यावदान में पुष्यमित्र शुंग का चित्रण बौद्ध धर्म के संहारक के रूप में किया गया है।


2-मिलिंदपन्हो:

   बौद्ध भिक्षु नागसेन द्वारा पालि भाषा में रचित इस ग्रंथ में मिनांडर नामक यूनानी शासक के विषय में जानकारी मिलती है।


3- महाभाष्य:

     पतंजलि द्वारा रचित इस पुस्तक से हमें पुष्यमित्र शुंग के राज्यकाल की कुछ प्रमुख घटनाओं का पता चलता है। इसमें उल्लेख है की यवनों ने साकेत तथा माध्यमिका को रौंद डाला।


4- गार्गी संहिता:

   ज्योतिष की इस पुस्तक में यवनों के आक्रमण का भी उल्लेख है। इससे पता चलता है कि यवन साकेत,  पांचाल, मथुरा को जीतते हुए पाटलिपुत्र तक जा पहुंचे।


5- मालविकाग्निमित्र:

    कालिदास द्वारा रचित इस नाट्य ग्रंथ से शुंगकालीन राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी मिलती है।


6- थेरावली:

     इसकी रचना 14वीं सदी के जैन लेखक मेरुतुंग ने की।इस ग्रंथ में उज्जैनी के शासको की वंशावली दी गई है।


7- अयोध्या का लेख: 

     इस अभिलेख से पता चलता है कि पुष्यमित्र शुंग ने दो अश्वमेघ यज्ञ किया।



8- बेशनगर का लेख:

    यह यमन राजदूत हेलिओडोरस का है तथा गरुड़ स्तंभ के ऊपर खुदा है। इससे मध्य भारत में भागवत धर्म की लोकप्रियता का पता चलता है।


9- नानाघाट अभिलेख:

   इसकी रचना नागानिका ने की जो सातवाहन शासक शातकर्णी प्रथम की रानी थी। इससे शातकर्णी प्रथम की उपलब्धियों का पता चलता है।


10- नासिक अभिलेख: 

    यह गौतमी बलश्री द्वारा लिखा गया अभिलेख है।इसमें गौतमीपुत्र  शातकर्णी का वर्णन है।


11- जूनागढ़ अभिलेख: 

     यह शक शासक रुद्रदामन द्वारा 150 ईस्वी में संस्कृत भाषा में लिखा गया प्रथम अभिलेख है। यह चंपू शैली (गद्य-पद्द मिश्रित) का भी प्रथम अभिलेख है।


12-सिक्के:

           इस कल के सिक्के अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अब सिक्कों पर राजाओं के नाम और तिथियां उत्कीर्ण की जाने लगीं।


13- अन्य स्रोत: 

     अन्य स्रोतों में प्रमुख है - प्लिनी द्वारा लैटिन भाषा में लिखी गई पुस्तक नेचुरल हिस्टोरिका(77A.D.), ' पेरिप्लस ऑफ द एरिथ्रियन सी' जो किसी अज्ञात यूनानी लेखक द्वारा 80 से 115 ई के बीच लिखी गई और टॉलमी द्वारा 150A.D. में लिखी गई पुस्तक जियोग्राफी प्रमुख है।


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