गहड़वाल वंश

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 गहड़वाल वंश

गहड़वाल वंश


गहड़वाल वंश मध्यकालीन भारत का एक प्रमुख राजवंश था, जिसने 11वीं और 12वीं शताब्दी के दौरान उत्तर भारत के कन्नौज (वर्तमान उत्तर प्रदेश) पर शासन किया। इस वंश का ऐतिहासिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह राजवंश महमूद गज़नवी और मोहम्मद गौरी के आक्रमणों के दौरान अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए जाना जाता है।


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गहड़वाल वंश का उदय:


📚 गहड़वाल वंश का संस्थापक चन्द्रदेव (1090-1100 ई.) था। उसने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाकर गंगा-यमुना के दोआब क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित किया।


📚 यह वंश मुख्यतः क्षत्रिय था और वैदिक परंपराओं का पालन करता था।


📚 इस वंश के शासकों ने शिक्षा, कला, धर्म और संस्कृति को प्रोत्साहित किया।


गहड़वाल वंश  के प्रमुख शासक


चन्द्रदेव:


🎯 गहड़वाल वंश का संस्थापक।


🎯 उसने कन्नौज, वाराणसी, और प्रयाग पर अधिकार कर लिया।


🎯 खुद को "त्रिभुवनपाल" और "महामंडलेश्वर" की उपाधि दी।


 गोविन्दचन्द्र (1114-1155 ई.)


✍🏻 गहड़वाल वंश का सबसे शक्तिशाली शासक


✍🏻 उसने गंगा-यमुना के क्षेत्र में अपनी शक्ति को बढ़ाया।


✍🏻 बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म को संरक्षण दिया।


✍🏻 गोविंदचंद्र का शांति एवं युद्ध मंत्री लक्ष्मीधर शास्त्रों का प्रकांड पंडित था, उसने ' कृत्य कल्पतरु' नामक ग्रंथ की रचना की। जिससे तत्कालीन राजनीतिक समाज एवं संस्कृति पर सुंदर प्रकाश पड़ता है।


✍🏻 व्यापार और संस्कृति को बढ़ावा दिया।


 जयचन्द्र (1170-1194 ई.)


👉🏼 गहड़वाल वंश का अंतिम प्रसिद्ध शासक


👉🏼 मोहम्मद गौरी के खिलाफ लड़ाई में हार गया जिससे इस वंश का पतन निश्चित हो गया।


📕 चंदावर के युद्ध (1194) में मोहम्मद गौरी द्वारा पराजित हुआ और मार डाला गया। जयचन्द्र की पराजय ने दिल्ली सल्तनत के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।


📕 पूर्व की और विस्तार के प्रयास में जयचंद्र को लक्ष्मणसेन द्वारा भी  पराजित होना पड़ा था।


📕 जयचंद्र ने संस्कृत के प्रख्यात कवि श्रीहर्ष को संरक्षण प्रदान किया जिसने 'नैषधचरित' एवं 'खंडनखाद्य' की रचना की।


संस्कृति और धर्म


✅ गहड़वाल शासक हिंदू धर्म के अनुयायी थे और उन्होंने वैदिक परंपराओं का पालन किया।


✅ वाराणसी (काशी) और प्रयाग जैसे धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण और संरक्षण किया।


✅ बौद्ध धर्म और जैन धर्म को भी प्रोत्साहन दिया।


✅ मंदिर निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


गहड़वाल वंश का पतन:


✏️ मोहम्मद गौरी और अन्य तुर्क आक्रमणकारियों के बढ़ते प्रभाव ने गहड़वाल वंश को कमजोर कर दिया।


✏️ जयचन्द्र की मृत्यु के बाद इस वंश का पतन हो गया और उत्तर भारत पर मुस्लिम सल्तनत का नियंत्रण स्थापित हो गया।


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