गुजरात (अन्हिलवाड़ ) के चौलुक्य
गुजरात के अन्हिलवाड़ (जिसे आधुनिक पाटन के रूप में जाना जाता है) के चौलुक्य वंश, जिसे सोलंकी वंश भी कहा जाता है, प्राचीन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण राजवंश था। इस वंश का शासन मुख्य रूप से गुजरात और इसके आसपास के क्षेत्रों पर 10वीं से 12वीं शताब्दी तक रहा। इनका शासन कला, वास्तुकला, और संस्कृति के उत्कर्ष का युग माना जाता है। इस वंश के शासक जैन धर्म के पोषक एवं संरक्षक थे।
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गुजरात (अन्हिलवाड़ ) के चौलुक्य वंश की स्थापना
चौलुक्य वंश की स्थापना मूलराज प्रथम (लगभग 940-996 ई.) ने की थी। वे पहले राजा थे जिन्होंने अन्हिलवाड़ा पाटन को अपनी राजधानी बनाया।
🎯 मूलराज ने चालुक्य और परमार जैसे समकालीन वंशों के साथ युद्ध कर अपनी शक्ति को स्थापित किया।
गुजरात (अन्हिलवाड़ ) के चौलुक्य वंश के महत्वपूर्ण शासक
भीमदेव प्रथम (1022–1064 ई.)
📕 सोमनाथ मंदिर पर महमूद गजनवी के आक्रमण का सामना किया।
📕 उनकी पुनर्निर्माण परियोजनाओं ने सोमनाथ मंदिर को पुनः स्थापित किया।
📕 कहा जाता है कि भीम प्रथम ने गजनवी द्वारा विनष्ट सोमनाथ मंदिर के का पुनर्निर्माण करवाया परंतु एक अन्य परंपरा के अनुसार इस मंदिर का पुनर्निर्माण कुमार पाल ने करवाया।
सिद्धराज जयसिंह (1094–1153 ई.)
उन्हें चौलुक्य वंश का सबसे महान राजा माना जाता है।
✏️ इसने मालवा के परमार शासक यशोवर्मन को युद्ध में पराजित कर उसे बंदी बना लिया। मालवा विजयोपरांत उसने अवंतिनाथ की उपाधि धारण की।
✏️ जयसिंह सिद्धराज ने सोमनाथ से तीर्थ यात्रा कर समाप्त कर दिया और खंभात में एक मस्जिद का पुनर्निर्माण कराया।
✏️ उन्होंने जल प्रबंधन, मंदिर निर्माण, और प्रशासनिक सुधारों के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की।
✏️ सिद्धपुर में सरस्वती नदी के किनारे के मंदिर उनके शासनकाल की विशेषता हैं।
कुमारपाल (1153–1172 ई.)
👉🏼 यह एक महत्वाकांक्षी शासक था। इसने अपने शासनकाल में हुए अनेक बाह्य आक्रमणों को विफल कर अपनी योग्यता का परिचय दिया।
👉🏼 प्रसिद्ध जैन आचार्य हेमचंद्र ने उसे जैन धर्म में दीक्षित किया था। इसके पश्चात परम अर्हत की उपाधि धारण की और संपूर्ण साम्राज्य में अहिंसा के सिद्धांतों को क्रियान्वित किया।
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👉🏼 जैन परंपरा के अनुसार कुमारपाल ने संपूर्ण साम्राज्य में पशु हत्या, मद्यपान, एवं द्योतक्रीड़ा पर प्रतिबंध लगा दिया।
👉🏼 जैन धर्म को संरक्षण दिया और स्वयं भी जैन धर्म को अपनाया।
👉🏼 कुमारपाल जैन था परंतु उसने सोमनाथ के मंदिर का अंतिम रूप से पुनर्निर्माण करवाया तथा जैन आचार्य हेमचंद के साथ सोमनाथ के मंदिर में शिव की अर्चना की।
उनके शासनकाल में गुजरात में शांति और समृद्धि का युग रहा।
अजयपाल (1172 से 1176ई.)
✍🏻 इसके शासनकाल में शैवों एवं जैन धर्मावलंबियों के मध्य गृह युद्ध आरंभ हो गया। जिसके परिणामस्वरुप अनेक जैन भिक्षुओं की हत्या कर दी गई और अनेक जैन मंदिरों को नष्ट कर दिया गया।
मूलराज द्वितीय (1176 से 1178 ई.)
🔔 मूलराज द्वितीय के भाई एवं सेनापति भीम द्वितीय ने 1178 ईस्वी में आबू पर्वत के निकट मोहम्मद गौरी को पराजित किया।
भीम द्वितीय (1178 से 1238 ई.)
सोलंकी वंश का यह अंतिम महान शासक था।
📚 1195 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक की सेना को भीम द्वितीय ने पराजित किया। किंतु पुनः 1197 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुजरात पर आक्रमण करके अन्हिलवाड़ पर अधिकार कर लिया।
📚 चौलुक्यों के शासनकाल में महिलाओं को उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता था।