मालवा के परमार
मालवा का परमार वंश भारतीय इतिहास में एक प्रमुख राजवंश था, जिसने मध्यकालीन भारत के मालवा क्षेत्र पर शासन किया। परमार वंश 10वीं से 13वीं शताब्दी तक सक्रिय रहा। इसका सबसे प्रमुख केंद्र उज्जयिनी (आधुनिक उज्जैन) और धार था।
परमार वंश को अपनी वीरता, कला और साहित्य के लिए जाना जाता है।
परमार वंश का उदय:
👉🏼 परमार वंश का संबंध अग्निवंशी क्षत्रियों से माना जाता है।
👉🏼 अग्निकुंड से उत्पत्ति की कथा के अनुसार, परमार, चौहान, सोलंकी, और प्रतिहार वंश के राजाओं का उद्भव पुष्कर के निकट हुआ था।
👉🏼 परमार वंश का सबसे पहला ऐतिहासिक प्रमाण 9वीं शताब्दी में मिलता है।
👉🏼 दसवीं शताब्दी के आरंभ में मालवा में प्रतिहारों का आधिपत्य नष्ट हो गया तथा वहां पर परमार शक्ति का उदय हुआ।
👉🏼 परमारो की प्रारंभिक राजधानी उज्जैन थी बाद में धारा बनी।
परमार वंश के प्रमुख शासक:
सीयक अथवा श्रीहर्ष : परमार वंश के संस्थापक माने जाते हैं।
मुंज (वाक्पति मुंज): वह परमार वंश के सबसे वीर और प्रसिद्ध शासकों में से एक थे। उन्होंने मालवा की समृद्धि और संस्कृति को बढ़ावा दिया।
👉🏼 यह कला एवं साहित्य का महान संरक्षक था। इसने अनेक कृत्रिम झीलों का निर्माण कराया। जिसमें धारा में निर्मित मुंज सागर झील उसकी स्मृति में आज तक परिरक्षित रखा हुआ है।
👉🏼 उसके दरबार में अनेक प्रतिभा संपन्न कवि एवं विद्वान निवास करते थे। जैसे- पद्मगुप्त, धनंजय, धनिक तथा हलायुध आदि विद्वान निवास करते थे।
👉🏼 मुंज ने चालुक्य नरेश तैलप द्वितीय को छह बार पराजित किया किंतु सातवें युद्ध के दौरान तैलप द्वितीय ने उसे बंदी बना लिया और उसकी हत्या कर दी।
राजा भोज (1000-1055 ई.):
राजा भोज परमार वंश के सबसे महान शासक थे।
👉🏼 भोज ने कल्याणी के चालुक्यों एवं अन्हिलवाड़ के चालुक्यों को पराजित किया किंतु चंदेल शासक विद्याधर के हाथों पराजित हुआ।
👉🏼 भोज के शासन के अंतिम वर्ष में गुजरात के चालुक्य नरेश भीम प्रथम तथा कलचुरी नरेश लक्ष्मीकर्ण ने एक संघ बनाकर मालवा पर आक्रमण किया तथा उसकी राजधानी धारा को लूटा। इस युद्ध के दौरान भोज की मृत्यु हो गई।
👉🏼 भोज अपने विद्वता के कारण कविराज उपाधि से प्रख्यात था। कहा जाता है कि उसने विविध विषयों- चिकित्साशास्त्र, खगोलशास्त्र, धर्म, व्याकरण, स्थापत्यशास्त्र आदि पर 20 से अधिक ग्रन्थों की रचना की। जिसमें से प्रमुख है-आयुर्वेद सर्वस्व, समरांगनसूत्रधर, युक्ति-कल्पतरु आदि।
👉🏼 भोज ने धारा नगरी का विस्तार किया और वहां भोजशाला के रूप में एक विख्यात महाविद्यालय की स्थापना की। इसके अलावा उसने भोजपुर नगर बसाया और भोजसर नामक तालाब बनवाया।
👉🏼 उन्होंने न केवल युद्ध और शासन में, बल्कि साहित्य, वास्तुकला और विज्ञान में भी ख्याति प्राप्त की।
परमार वंश की संस्कृति और योगदान:
👉🏼 परमार वंश ने मालवा को सांस्कृतिक और शैक्षणिक केंद्र बनाया।
👉🏼 राजा भोज ने अनेक ग्रंथों की रचना की, जिनमें से "समरांगण सूत्रधार" वास्तुकला पर एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
👉🏼 परमार काल में मंदिर निर्माण कला अपने शिखर पर थी। धार, उज्जैन और भोजपुर में उनके द्वारा बनाए गए मंदिर इसके उदाहरण हैं।
परमार वंश पतन:
1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने मालवा को अपने सल्तनत में मिला लिया।