बंगाल का सेन राजवंश
बंगाल का सेन राजवंश (Sen Dynasty) प्राचीन भारत का एक महत्वपूर्ण राजवंश था, जिसने 11वीं से 12वीं शताब्दी के बीच बंगाल और उसके आसपास के क्षेत्रों पर शासन किया।
इस राजवंश की स्थापना सामंत सेन ने की थी, लेकिन इसका सबसे प्रभावशाली शासक विजय सेन था।
सेन राजवंश पाल राजवंश के पतन के बाद बंगाल में उभरा।
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सेन राजवंश के प्रमुख शासक:
सामंत सेन (1070-1096 ई.):
👉🏼 इस राजवंश के संस्थापक।
👉🏼 पहले पाल राजाओं के सामंत थे, लेकिन बाद में स्वतंत्र हो गए।
विजय सेन (1096-1159 ई.):
📕 सेन राजवंश का सबसे शक्तिशाली शासक।
📕 उसने पाल साम्राज्य को हराकर बंगाल पर अधिकार किया।
📕 विजय सेन ने अपने शासन को उत्तर भारत के कुछ हिस्सों तक भी विस्तारित किया।
📕 उसने "श्रीहट्ट" (आधुनिक सिलहट, बांग्लादेश) को विकसित किया।
बल्लाल सेन (1159-1179 ई.):
📚 विजय सेन का पुत्र।
📚 उसने हिंदू रीति-रिवाजों को सुदृढ़ किया और जाति व्यवस्था को संगठित किया।
📚 "गौड़ेश्वर" की उपाधि धारण की।
📚 बल्लाल सेन स्वयं विद्वान था तथा विद्वानों का संरक्षक भी था। उसने दान सागर नामक ग्रंथ की रचना की तथा अन्य ग्रंथ अद्भुत सागर की रचना प्रारंभ किया किंतु उसे पूर्ण नहीं कर पाया।
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लक्ष्मण सेन (1179-1206 ई.):
🎯 सेन राजवंश का अंतिम शक्तिशाली शासक।
🎯 लक्ष्मण सेन विद्वानों और साहित्य का संरक्षक था।
🎯 उसके समय में जयदेव ने "गीत गोविंद" की रचना की, धोयी ने पवनदूत की और हलायुध ने ब्राह्मण सर्वस्व की रचना की। इसके अलावा लक्ष्मण सेन ने अपने पिता द्वारा प्रारंभ किए गए अद्भुत सागर नामक ग्रंथ की रचना को पूरा किया।
✍🏻 लक्ष्मण सेन ने गहढ़वाल शासक जयचंद को पराजित किया था।
✍🏻 1203 ई. के आसपास दिल्ली के गुलाम वंश के शासक मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने बंगाल पर आक्रमण किया और सेन साम्राज्य का पतन हो गया।