कश्मीर का उत्पल वंश

Gyanalay
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 कश्मीर का उत्पल वंश 

कश्मीर का उत्पल वंश

कार्कोट वंश के बाद कश्मीर में उत्पल वंश का शासन स्थापित हुआ। 


इस वंश की स्थापना अवंतीवर्मन ने की थी।


अवन्तिवर्मन (855 से 883ई.)


यह एक जन कल्याणकारी शासक था जिसने कृषि की उन्नति के लिए नहरों का निर्माण करवाया। उसे अनेक नगरों की स्थापना का भी श्रेय प्राप्त है जिसमें अवंतीपुर नगर प्रसिद्ध है।


📚 उसने साहित्य एवं कला को भी प्रोत्साहन दिया। 


📚 अवन्तिवर्मन के सफल शासन में सबसे अधिक योगदान उसके योग्य मंत्री सूर का था।


📚 अवन्तिवर्मन की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारियों के मध्य गृह युद्ध हुआ जिसमें अवन्तिवर्मन का वैध उत्तराधिकारी शंकर वर्मन विजय रहा।


शंकर वर्मन (885 से 902 ई.)


यह लगातार युद्धों में उलझा रहा इस कारण से इसे राजकोषीय संकट का सामना करना पड़ा। इस समस्या को हल करने के लिए उसने जनता पर कई प्रकार के टैक्स लगाए जिसके कारण जनता की आर्थिक स्थिति दुर्बल हुई।


📚 इतना ही नहीं उसने खजाने को भरने के लिए मंदिरों की संपत्ति लूटी और राज्य द्वारा शिक्षा पर किए जाने वाले खर्च में कटौती कर दी।


📚 इन करो ने उसे अत्यंत अलोकप्रिय बना दिया तथा उसे क्रूर तथा अत्याचारी शासक कहा जाने लगा।


📚 क्षेमेन्द्र गुप्त 950में गद्दी पर बैठा। इसका विवाह लोहार वंश की राजकुमारी दिद्दा से हुआ क्षेमेन्द्रगुप्त के बाद कश्मीर की सत्ता व्यावहारिक रूप से रानी दिद्दा के हाथों में 50 वर्षों तक रही।वह एक महत्वाकांक्षी शासिका थी।


📚 दिद्दा की गणना कश्मीर एवं भारतीय इतिहास की प्रसिद्ध महिला शासको में की जाती है। उसका नाम सिक्कों पर भी अभिलिखित किया गया है।

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