व्यंजन संधि: परिभाषा, प्रकार, 100 उदाहरण, संधि विच्छेद और 50 MCQs
व्यंजन संधि हिंदी व्याकरण की वह प्रक्रिया है जिसमें किसी शब्द के अंतिम व्यंजन और अगले शब्द के प्रथम वर्ण (स्वर या व्यंजन) के मेल से ध्वनि परिवर्तन होता है। व्यंजन संधि को हल् संधि भी कहते हैं और यह माहेश्वर सूत्र के हयवरट्–ह ल् सूत्रों द्वारा निर्धारित होती है । व्यंजन संधि के तीन भेद हैं: व्यंजन+व्यंजन, स्वर+व्यंजन, एवं व्यंजन+स्वर । इसके 13 विशिष्ट नियम हैं, जिनके उदाहरण और उपयुक्त व्याख्या इस ब्लॉग में विस्तार से प्रस्तुत किए गए हैं।
व्यंजन संधि क्या है?
किसी व्यंजन का व्यंजन से अथवा किसी स्वर से मेल होने पर जो ध्वनि परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
व्यंजन संधि के प्रकार
- व्यंजन + व्यंजन = व्यंजन संधि
उदाहरण: वाक् + जाल = वाग्जाल । - स्वर + व्यंजन = व्यंजन संधि
उदाहरण: आ + छादन = आच्छादन । - व्यंजन + स्वर = व्यंजन संधि
उदाहरण: जगत् + ईश = जगदीश ।
नीचे तीन प्रमुख प्रकार तालिका में दिए गए हैं :
प्रकार | विवरण | उदाहरण |
व्यंजन + व्यंजन संधि | दोनों पदों में व्यंजन मिलने से | वाक् + जाल = वाग्जाल |
स्वर + व्यंजन संधि | प्रथम पद स्वर, उत्तर पद व्यंजन मिलने से | आ + छादन = आछादन |
व्यंजन + स्वर संधि | प्रथम पद व्यंजन, उत्तर पद स्वर मिलने से | जगत् + ईश = जगदीश |
व्यंजन संधि के 13 नियम
नीचे प्रत्येक नियम का विवरण और उदाहरण दिए गए हैं जो संधि-विच्छेद में सहायक हैं।
नियम 1
यदि प्रथम पद का अंतिम व्यंजन क्, च्, ट्, त्, या प् हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण किसी वर्ग के तीसरे/चौथे वर्ण (ग्, ज्, ड्, द्, ब्), या य्, र्, ल्, व्, ह्, अथवा स्वर से मेल खाए तो उस व्यंजन को उसी वर्ग के तीसरे वर्ण में बदल दिया जाता है: क्→ग्, च्→ज्, ट्→ड्, त्→द्, प्→ब्।
उदा.: सत् + भावना = सद्भावना ।
नियम 2
यदि प्रथम पद का अंतिम व्यंजन क्, च्, ट्, त्, या प् हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण न् या म् से मेल खाए तो उस व्यंजन को उसी वर्ग के पंचम वर्ण (ङ्, ञ्, ण्, न्, म्) में बदला जाता है।
उदा.: वाक् + मय = वाङ्मय ।
नियम 3
यदि प्रथम पद का अंतिम व्यंजन त् हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण ग्, घ्, द्, ध्, ब्, भ्, य्, र्, व्, या स्वर से मेल खाए तो त् के स्थान पर द् हो जाता है।
उदा.: जगत् + ईश = जगदीश ।
नियम 4
यदि प्रथम पद का अंतिम व्यंजन त् हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण च्, ज्, झ्, ट्, ड्, या ल् से मेल खाए तो त् के स्थान पर वही व्यंजन लुप्त हो जुड़ जाता है।
उदाहरण:
- त् + च = उच्चारण (उत् + चारण) ।
- त् + ज = सज्जन (सत् + जन) ।
नियम 5
यदि प्रथम पद का अंतिम व्यंजन त् हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण श् से मेल खाए तो त्→च् एवं श्→छ् हो जाता है।
उदाहरण: उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट ।
नियम 6
यदि प्रथम पद का अंतिम व्यंजन त् हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण ह् से मेल खाए तो त्→द् एवं ह्→ध् हो जाता है।
उदाहरण: उत् + हार = उद्धार ।
नियम 7
यदि ह्रस्व/दीर्घ स्वर के बाद छ् वर्ण आए तो छ् से पूर्व च् जोड़ दिया जाता है।
उदाहरण: वि + छेद = विच्छेद ।
नियम 8
यदि प्रथम पद का अंतिम वर्ण म् हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण क्–म् तक किसी व्यंजन से मेल खाए तो म्→अनुस्वार (ँ) हो जाता है।
उदाहरण: सम् + योग = संयोग ।
नियम 9
यदि प्रथम पद का अंतिम वर्ण म् हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण म् से मेल खाए तो म् द्वित्व होकर म्म बन जाता है।
उदाहरण: सम् + मान = सम्मान ।
नियम 10
यदि प्रथम पद का अंतिम वर्ण म् हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् से मेल खाए तो म्→अनुस्वार (ँ) हो जाता है।
उदाहरण: सम् + रक्षण = संरक्षण ।
नियम 11
यदि प्रथम पद का अंतिम वर्ण ऋ, र्, ष् से परे न् हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण न् हो (विशेष स्थितियों में) तो न्→ण् हो जाता है।
उदाहरण: परि + नाम = परिणाम ।
नियम 12
यदि प्रथम पद का अंतिम स्वर अ, आ को छोड़कर अन्य स्वर हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण स् हो तो स्→ष् हो जाता है।
उदाहरण: वि + सम = विषम ।
नियम 13
यदि प्रथम पद का अंत ऋ, र्, ष् हो एवं उत्तर पद का प्रथम वर्ण न् हो तथा उनके बीच स्वर/क-वर्ग या प-वर्ग या य्, र्, व् हो तो न्→ण् हो जाता है।
उदाहरण: ऋ + न = ऋण ।
निम्न तालिका में व्यंजन संधि के 13 मुख्य नियमों का सारांश और उदाहरण प्रस्तुत हैं :
नियम सं. | विवरण | उदाहरण |
1 | क्, च्, ट्, त्, प् के बाद तीसरे वर्ग (ग्, ज्, ड्, द्, ब्) के व्यंजन से मिलन पर प्रथम व्यंजन बदलता है | सत् + भावना = सद्भावना |
2 | क्, च्, ट्, त्, प् के बाद न्/म् से मिलन पर पंचम वर्ग (ङ्, ञ्, ण्, न्, म्) का व्यंजन बनता है | वाक् + मय = वाङ्मय |
3 | त् के बाद ग्/घ्/द्/ध्/ब्/भ्/य्/र्/व्/स्वर से मिलन पर त्→द् होता है | जगत् + ईश = जगदीश |
4 | त् के बाद च्/ज्/झ्/ट्/ड्/ल् से मिलन पर त् लुप्त हो द्वित्व करता है | सत् + जन = सज्जन |
5 | त् के बाद श् से त्→च् एवं श्→छ् होता है | उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट |
6 | त् के बाद ह् से त्→द् एवं ह्→ध् होता है | उत् + हार = उद्धार |
7 | किसी ह्रस्व/दीर्घ स्वर के बाद छ् मिलने पर पूर्व में च् जुड़ता है | वि + छेद = विच्छेद |
8 | म् के बाद क्–म् वर्ग या स्वर मिलने पर म्→ँ (अनुस्वार) होता है | सम् + योग = संयोग |
9 | म् के बाद म् मिलने पर द्वित्व होकर म्म बनता है | सम् + मान = सम्मान |
10 | म् के बाद य्/र्/ल्/व्/श्/ष्/स्/ह् मिलने पर म्→ँ होता है | सम् + रक्षण = संरक्षण |
11 | ऋ/र्/ष् के बाद न् मिलने पर न्→ण् होता है (विशेष) | परि + नाम = परिणाम |
12 | ह्रस्व/दीर्घ स्वर (अ,आ को छोड़कर) के बाद स् मिलने पर स्→ष् होता है | वि + सम = विषम |
13 | ऋ/र्/ष् के बाद न् एवं बीच में स्वर/क-वर्ग/प-वर्ग/य,र,व् होने पर न्→ण् होता है | ऋ + न = ऋण |
उदाहरण संक्षेप
- सत् + आचारः = सदाचारः
- शरत् + चंद्र = शरच्चंद्र
- षट् + आनन = षडानन
- दिक् + अम्बर = दिगम्बर
- सम् + योग = संयोग
व्यंजन संधि के प्रकार:
- परसवर्ण संधि
- अनुस्वार संधि
- अनुनासिक संधि
यह रहे 100 महत्वपूर्ण व्यंजन संधि के उदाहरण, जिसमें हर शब्द का संधि-विच्छेद और संधि का प्रकार भी दिया गया है:
स्वर संधि 100 उदाहरण
विसर्ग संधि 100 उदाहरण
व्यंजन संधि के 100 महत्वपूर्ण उदाहरण
क्रम |
संधि शब्द |
संधि-विच्छेद |
संधि का प्रकार |
1 |
सत्यार्थ |
सत्य + अर्थ |
परसवर्ण संधि |
2 |
भक्तिमय |
भक्ति + मय |
परसवर्ण संधि |
3 |
दुखद |
दुख + अद |
परसवर्ण संधि |
4 |
विद्वत्सभा |
विद्वत + सभा |
परसवर्ण संधि |
5 |
आत्मबोध |
आत्म + बोध |
परसवर्ण संधि |
6 |
जगन्नाथ |
जगत + नाथ |
अनुस्वार संधि |
7 |
संकल्प |
सम् + कल्प |
अनुस्वार संधि |
8 |
संविद |
सम् + विद |
अनुस्वार संधि |
9 |
पंचम |
पञ्च + म |
अनुनासिक संधि |
10 |
चंदन |
चन्द + अन |
अनुनासिक संधि |
11 |
यथार्थ |
यथ + अर्थ |
परसवर्ण संधि |
12 |
उपदेश |
उप + देश |
परसवर्ण संधि |
13 |
जगद्गुरु |
जगत + गुरु |
अनुस्वार संधि |
14 |
सत्कर्म |
सत् + कर्म |
परसवर्ण संधि |
15 |
संधि |
सम् + धि |
अनुस्वार संधि |
16 |
संचित |
सम् + चित |
अनुस्वार संधि |
17 |
चंपक |
चम्प + अक |
अनुनासिक संधि |
18 |
सन्न्यास |
सं + न्यास |
परसवर्ण संधि |
19 |
चिन्मय |
चित् + मय |
परसवर्ण संधि |
20 |
सद्गति |
सत् + गति |
परसवर्ण संधि |
21 |
बुद्धि |
बुद्ध + इ |
परसवर्ण संधि |
22 |
सत्तारूढ़ |
सत् + आरूढ़ |
परसवर्ण संधि |
23 |
वन्दना |
वन्द + अना |
अनुनासिक संधि |
24 |
संजीवनी |
सम् + जीवनी |
अनुस्वार संधि |
25 |
चंद्रमा |
चन्द्र + अमा |
अनुनासिक संधि |
26 |
सत्पथ |
सत् + पथ |
परसवर्ण संधि |
27 |
मंत्र |
मन्त + त्र |
परसवर्ण संधि |
28 |
सप्तर्षि |
सप्त + ऋषि |
परसवर्ण संधि |
29 |
बंधन |
बन्ध + अन |
अनुनासिक संधि |
30 |
जन्तु |
जन्त + उ |
परसवर्ण संधि |
31 |
नंदन |
नन्द + अन |
अनुनासिक संधि |
32 |
तप्त |
तप् + त |
परसवर्ण संधि |
33 |
संचित |
सम् + चित |
अनुस्वार संधि |
34 |
विन्ध्य |
विन्द + ह्य |
अनुनासिक संधि |
35 |
संसर्ग |
सम् + सर्ग |
अनुस्वार संधि |
36 |
सम्पत्ति |
सम् + प्राप्ति |
अनुस्वार संधि |
37 |
किंकर्तव्य |
किम् + कर्तव्य |
अनुस्वार संधि |
38 |
चंद्रकांत |
चन्द्र + अकांत |
अनुनासिक संधि |
39 |
संसार |
सम् + सार |
अनुस्वार संधि |
40 |
निम्बू |
निम्ब + ऊ |
अनुनासिक संधि |
41 |
भक्तवत्सल |
भक्त + वत्सल |
परसवर्ण संधि |
42 |
चंद्रशेखर |
चन्द्र + शेखर |
अनुनासिक संधि |
43 |
संतोष |
सन्त + ओष |
परसवर्ण संधि |
44 |
अन्तहीन |
अन्त + हीन |
परसवर्ण संधि |
45 |
सप्तमी |
सप्त + अमी |
परसवर्ण संधि |
46 |
वंदनीय |
वन्द + अनीय |
अनुनासिक संधि |
47 |
ज्ञानमय |
ज्ञान + मय |
परसवर्ण संधि |
48 |
चम्पक |
चम्प + अक |
अनुनासिक संधि |
49 |
संग्राम |
सम् + ग्राम |
अनुस्वार संधि |
50 |
संहार |
सम् + हार |
अनुस्वार संधि |
51 |
सम्पूर्ण |
सम् + पूर्ण |
अनुस्वार संधि |
52 |
चंद्रप्रभा |
चन्द्र + प्रभा |
अनुनासिक संधि |
53 |
सत्यनारायण |
सत्य + नारायण |
परसवर्ण संधि |
54 |
चंद्रयान |
चन्द्र + अयान |
अनुनासिक संधि |
55 |
सम्पत्ति |
सम् + प्राप्ति |
अनुस्वार संधि |
56 |
चंद्रलोक |
चन्द्र + आलोक |
अनुनासिक संधि |
57 |
बुद्धिमान |
बुद्धि + मान |
परसवर्ण संधि |
58 |
अन्तर्मुखी |
अन्तर + मुखी |
परसवर्ण संधि |
59 |
विद्वान |
विद्वत् + आन |
परसवर्ण संधि |
60 |
धर्मात्मा |
धर्म + आत्मा |
परसवर्ण संधि |
61 |
यज्ञमाला |
यज्ञ + माला |
परसवर्ण संधि |
62 |
अग्निदेव |
अग्नि + देव |
परसवर्ण संधि |
63 |
आत्मज्ञान |
आत्म + ज्ञान |
परसवर्ण संधि |
64 |
तत्त्वज्ञान |
तत्त्व + ज्ञान |
परसवर्ण संधि |
65 |
संस्कार |
सम् + स्कार |
अनुस्वार संधि |
66 |
संतोषजनक |
संतोष + जनक |
परसवर्ण संधि |
67 |
सन्देश |
सम् + देश |
अनुस्वार संधि |
68 |
चंपारण |
चम्प + अरण |
अनुनासिक संधि |
69 |
दुर्दशा |
दुर् + दशा |
परसवर्ण संधि |
70 |
परोपकार |
पर + उपकार |
परसवर्ण संधि |
71 |
दुखान्त |
दुख + अन्त |
परसवर्ण संधि |
72 |
सज्जन |
सत् + जन |
परसवर्ण संधि |
73 |
सम्मान |
सम् + मान |
अनुस्वार संधि |
74 |
सम्पर्क |
सम् + पर्क |
अनुस्वार संधि |
75 |
गंधराज |
गन्ध + राज |
अनुनासिक संधि |
76 |
संतप्त |
सन्त + तप्त |
परसवर्ण संधि |
77 |
चंपा |
चम्प + अ |
अनुनासिक संधि |
78 |
ब्रह्मर्षि |
ब्रह्म + ऋषि |
परसवर्ण संधि |
79 |
विद्यानाथ |
विद्या + नाथ |
परसवर्ण संधि |
80 |
भद्रपुरुष |
भद्र + पुरुष |
परसवर्ण संधि |
81 |
दुःखद |
दुःख + अद |
परसवर्ण संधि |
82 |
निश्चल |
निश्च + चल |
परसवर्ण संधि |
83 |
धर्मप्राण |
धर्म + प्राण |
परसवर्ण संधि |
84 |
महत्त्वपूर्ण |
महत् + महत्वपूर्ण |
परसवर्ण संधि |
85 |
संकर्षण |
सम् + कर्षण |
अनुस्वार संधि |
86 |
मित्रभाव |
मित्र + भाव |
परसवर्ण संधि |
87 |
चंपई |
चम्प + ई |
अनुनासिक संधि |
88 |
नंदिनी |
नन्द + इनी |
अनुनासिक संधि |
89 |
संसारिक |
सम् + सारिक |
अनुस्वार संधि |
90 |
युद्धरत |
युद्ध + रत |
परसवर्ण संधि |
91 |
सम्प्रेषण |
सम् + प्रेषण |
अनुस्वार संधि |
92 |
पर्वत्माला |
पर्वत + माला |
परसवर्ण संधि |
93 |
नृत्यशाला |
नृत्य + शाला |
परसवर्ण संधि |
94 |
सत्कल्पना |
सत् + कल्पना |
परसवर्ण संधि |
95 |
अन्तर्दृष्टि |
अन्तर + दृष्टि |
परसवर्ण संधि |
96 |
सम्प्रदाय |
सम् + प्रदाय |
अनुस्वार संधि |
97 |
संविदान |
सम् + विधान |
अनुस्वार संधि |
98 |
तंद्रा |
तन्द्र + आ |
अनुनासिक संधि |
99 |
संस्कृत |
सम् + कृत |
अनुस्वार संधि |
100 |
महेंद्र |
मह + इन्द्र |
अनुनासिक संधि |
व्यंजन संधि पर आधारित पूरा सेट – 50 MCQ प्रश्न (उत्तर सहित) जो विभिन्न प्रकारों में बांटे गए हैं: संधि पहचान, संधि विच्छेद, नियम-आधारित, Assertion-Reason, मिलान इत्यादि। यह सेट परीक्षा के दृष्टिकोण से 100% उपयोगी और सटीक है।
व्यंजन संधि पर 50 MCQ प्रश्नोत्तरी (उत्तर सहित)
भाग 1: संधि का प्रकार पहचानें
- ‘सद्भावना’ में कौन-सी संधि है?
उत्तर: b) परसवर्ण संधि - ‘संवेदना’ शब्द में कौन-सी संधि है?
उत्तर: b) अनुस्वार संधि - ‘चंद्रमा’ में कौन-सी संधि है?
उत्तर: a) अनुनासिक संधि - ‘संगीत’ में कौन-सी संधि है?
उत्तर: b) अनुस्वार संधि - ‘विच्छेद’ में कौन-सी संधि है?
उत्तर: b) परसवर्ण संधि - ‘सम्मान’ में कौन-सी संधि है?
उत्तर: b) अनुस्वार संधि - ‘चंपक’ में कौन-सी संधि है?
उत्तर: a) अनुनासिक संधि - ‘संतोष’ में कौन-सी संधि है?
उत्तर: b) परसवर्ण संधि - ‘विद्वज्जन’ में कौन-सी संधि है?
उत्तर: b) परसवर्ण संधि - ‘संघर्ष’ में कौन-सी संधि है?
उत्तर: b) अनुस्वार संधि
भाग 2: संधि विच्छेद करें
- ‘सज्जन’ का संधि-विच्छेद?
उत्तर: सत् + जन - ‘विद्वत्सभा’ का संधि-विच्छेद?
उत्तर: विद्वत + सभा - ‘संपर्क’ का संधि-विच्छेद?
उत्तर: सम् + पर्क - ‘बुद्धिमान’ का संधि-विच्छेद?
उत्तर: बुद्धि + मान - ‘चंद्रप्रभा’ का संधि-विच्छेद?
उत्तर: चन्द्र + प्रभा - ‘संसार’ का संधि-विच्छेद?
उत्तर: सम् + सार - ‘सदाचार’ का संधि-विच्छेद?
उत्तर: सत् + आचार - ‘संहार’ का संधि-विच्छेद?
उत्तर: सम् + हार - ‘नंदन’ का संधि-विच्छेद?
उत्तर: नन्द + अन - ‘जगदीश’ का संधि-विच्छेद?
उत्तर: जगत् + ईश
भाग 3: नियम आधारित प्रश्न
- म् + म = ?
उत्तर: म्म - त् + श = ?
उत्तर: च्छ - त् + ह = ?
उत्तर: द्ध - त् + ज = ?
उत्तर: ज्ज - क् + म = ?
उत्तर: ङ्म - त् + द = ?
उत्तर: द्द - म् + प = ?
उत्तर: ंप (अनुस्वार) - म् + ल = ?
उत्तर: ंल (अनुस्वार) - त् + च = ?
उत्तर: च्च - प् + भ = ?
उत्तर: ब्भ
भाग 4: सही विकल्प चुनें
- ‘वाग्देवी’ में संधि है:
उत्तर: वाक् + देवी (परसवर्ण संधि) - ‘दुर्गति’ में संधि है:
उत्तर: दुर् + गति (परसवर्ण संधि) - ‘संभव’ में संधि है:
उत्तर: सम् + भव (अनुस्वार संधि) - ‘नंदिनी’ में संधि है:
उत्तर: नन्द + इनी (अनुनासिक संधि) - ‘सप्तर्षि’ में संधि है:
उत्तर: सप्त + ऋषि (परसवर्ण संधि) - ‘सम्भाषण’ में संधि है:
उत्तर: सम् + भाषण (अनुस्वार संधि) - ‘संपत्ति’ में संधि है:
उत्तर: सम् + प्राप्ति (अनुस्वार संधि) - ‘संप्रेषण’ में संधि है:
उत्तर: सम् + प्रेषण (अनुस्वार संधि) - ‘चंपारण’ में संधि है:
उत्तर: चम्प + अरण (अनुनासिक संधि) - ‘गंधराज’ में संधि है:
उत्तर: गन्ध + राज (अनुनासिक संधि)
भाग 5: Assertion-Reason प्रश्न
- A: ‘सम्मान’ में अनुस्वार संधि है।
R: सम् + मान = सम्मान
उत्तर: A और R दोनों सही हैं, और R सही कारण है। - A: ‘सत्कार’ में परसवर्ण संधि है।
R: सत् + कार = सत्कार
उत्तर: दोनों सही हैं। - A: ‘विच्छेद’ में अनुस्वार संधि है।
R: वि + छेद = विच्छेद
उत्तर: A गलत, R सही - A: ‘सज्जन’ में त् + ज = ज्ज होता है।
उत्तर: सही - A: ‘चंपा’ में अनुनासिक संधि होती है।
उत्तर: सही
भाग 6: मिलान करें
शब्द |
संधि-विच्छेद |
A. संयोग |
1. सम् + योग |
B. विद्वज्जन |
2. विद्वत् + जन |
C. जगन्नाथ |
3. जगत् + नाथ |
उत्तर: A-1, B-2, C-3
शब्द |
संधि-विच्छेद |
A. आत्मबोध |
1. आत्म + बोध |
B. बुद्धिमान |
2. बुद्धि + मान |
C. सम्प्रेषण |
3. सम् + प्रेषण |
उत्तर: A-1, B-2, C-3
भाग 7: अन्य प्रश्न
- किस शब्द में परसवर्ण संधि नहीं है?
a) सज्जन
b) सत्यार्थ
c) संसार
d) चंद्रमा
उत्तर: d) चंद्रमा - किस शब्द में अनुनासिक संधि है?
a) चंपक
b) सद्गुण
c) संसार
d) विन्ध्य
उत्तर: a) चंपक - ‘संतोष’ शब्द में कौन-सी संधि है?
उत्तर: परसवर्ण संधि
#व्यंजन_संधि #VyanjanSandhi #हिंदी_व्याकरण #संधि_विच्छे
निष्कर्ष
व्यंजन संधि के नियमों का अभ्यास भाषा को सटीक और प्रवाहपूर्ण बनाता है। तालिका रूप में यह संपूर्ण जानकारी आपकी तैयारी और पढ़ाई में सहायक सिद्ध होगी ।